राज्य सरकारें मौसम की स्थानीय स्थिति को देखते हुए बारिश के मौसम में एक निश्चित अवधि के लिए मछली पकड़ने को प्रतिबंधित कर देती हैं. छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार ने इस साल 16 जून से 15 अगस्त तक के लिए मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य के मुख्यमंत्री साय की अध्यक्षता में कृषि, बागवानी और पशुपालन सहित खेती से जुड़े अन्य विभागों की समीक्षा बैठक में यह फैसला किया गया. इस दौरान छत्तीसगढ़ में बागवानी के लिए राज्य में Center for Excellence बनाने का भी फैसला किया गया. राज्य सरकार के पहले 6 महीने पूरे होने पर सीएम साय ने खेती किसानी से जुड़े सभी क्षेत्रों में पिछले 6 महीने के दौरान किए गए कामों की समीक्षा की.
छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्षा ऋतु प्रारंभ होने से पहले मछली पकड़ने पर अगले दो महीने के लिए रोक लगा दी है. सरकार की ओर से बताया गया कि मछलियों की वंश वृद्धि के इस समय को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ मस्य उद्योग कानून के तहत इस साल 16 जून से 15 अगस्त को Fishing Close season के रूप में घोषित किया गया है.
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सरकार की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि मछली के ब्रीडिंग पीरियड में मछली पकड़ने पर जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है. इसका उल्लंघन करने पर छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य क्षेत्र अधिनियम के अन्तर्गत 1 साल का कारावास अथवा 10 हजार रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों सजाएं हो सकती हैं. उक्त नियम केवल छोटे तालाब या अन्य जल स्त्रोत जिनका संबंध किसी नदी नाले से नहीं है, के अतिरिक्त जलाशयों में किये जा रहे केज कल्चर पर लागू नहीं होगा.
इस दौरान सीएम साय ने Agriculture and Horticulture के क्षेत्र में छह माह के दौरान किए गए कामों की भी समीक्षा की. उन्होंने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को समय पर गुणवत्तायुक्त खाद बीज मुहैया कराया जाए. साथ ही कृषि उपज के भंडारण और वितरण की स्थिति पर भी सतत निगरानी की जाए. खेती किसानी से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए मुख्यमंत्री साय ने बताया कि जब उन्हें डीएपी खाद की जरूरत होती थी तब उन्हें दूसरी खाद मिलती थी. उन्होंने कहा कि किसानों साथ अब ऐसा न हो, यह बात सुनिश्चित की जाए.
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किसानों में बागवानी को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए सीएम ने कहा कि इससे Farmers Income बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके तहत बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने राज्य में ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंस’ की स्थापना करने का फैसला किया है. उन्होंने सुगंधित और महीन धान की खेती के अलावा सोयाबीन, पॉम ऑयल और Floriculture को भी बढ़ावा देने पर जोर दिया. बैठक में कृषि एवं राजस्व विभाग के अफसरों ने ई गिरदावरी योजना के बारे में बताया कि इसका पायलट प्रोजेक्ट, राज्य के तीन जिलों (महासमुंद, धमतरी और कबीरधाम) में जल्द प्रारंभ होने जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद पूरे राज्य में ई गिरदावरी की जाएगी.
गौरतलब है कि ई-गिरदावरी में किसानों और भू-नक्शों का Digital Data Base तैयार किया जाएगा. किसानों की संपत्ति की रजिस्ट्री तथा नक्शों की Georeferencing करके GIS आधारित Digital Crop Survey का काम मोबाइल एप के माध्यम से किया जाएगा. इससे गिरदावरी का कार्य आसान होगा और उसका डाटा भी तुरंत योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध हो जाएगा.