देश में कृषि के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने बताया है कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में मत्स्यपालन विभाग के लिए 2022-23 के दौरान 1624.18 करोड़ रुपये और 2021-22 के दौरान 1360 करोड़ रुपये के मुकाबले 2248.77 करोड़ रुपये की राशि के आवंटन की घोषणा की है. यह वित्त वर्ष 2022-23 के बजट की तुलना में 38.45% की समग्र वृद्धि को दर्शाता है और यह विभाग के लिए अब तक के सबसे अधिक वार्षिक बजटीय सहयोग में से एक है. देश में इससे मछली पालन को और बढ़ावा मिलेगा.
मंत्रालय ने बताया, 6 हजार करोड़ रुपये की लक्षित निवेश के साथ एक नई योजना से मछुआरों, विक्रेताओं और छोटे व्यापरियों की इनकम में सुधार करने में मदद मिलेगी. साथ ही मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट में घोषित पीएम मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक (formalize) बनाने के लिए ध्यान केंद्रित करने का विचार है.
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मंत्रालय ने बताया कि भारतीय मत्स्य क्षेत्र बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है, भारत पहले ही तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक, दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक और मत्स्य उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है.
मंत्रालय ने बताया कि इसने वित्त वर्ष 2012 में दोहरे अंकों की सालाना वृद्धि दर 10.34% दर्ज की है और 162.48 लाख टन के रिकॉर्ड मछली उत्पादन तक पहुंच गया है. यह क्षेत्र 28 मिलियन से अधिक लोगों को स्थायी आजीविका प्रदान करता है जो ज्यादातर हाशिए पर और कमजोर समुदायों के अंतर्गत आते हैं. इनके सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में स्थायी सुधार लाने में सहायक रहा है.
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मंत्रालय ने बताया कि पीएम मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), फिशरीज इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसी योजनाएं, जिन्हें 27,500 करोड़ रुपये से अधिक के कुल निवेश के साथ लॉन्च किया गया था, ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है.
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