न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की लीगल गारंटी सहित 12 मांगों को लेकर 13 फरवरी से चल रहे किसान आंदोलन की दिशा अब लोकसभा चुनाव के बीच क्या होगी. आंदोलन चलेगा या खत्म हो जाएगा और क्या सरकार से गुस्साए किसानों ने चुनाव में 'वोट की चोट' देने के लिए कोई फैसला किया है...ऐसे कई सवाल हैं जो आम आदमी के मन में घूम रहे हैं. आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) अराजनैतिक के नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने 'किसान तक' से बातचीत में कहा कि जब तक सरकार मांग नहीं मान लेती है तब तक आंदोलन चलता रहेगा. इसे खत्म होने का कोई सवाल ही नहीं है. शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान बैठे हुए हैं. वहां से उठने का सवाल ही नहीं है.
अब मुद्दा आता है कि क्या लोकसभा चुनाव को लेकर मोर्चा ने कोई फैसला किया है? इसका जवाब मोर्चा के प्रवक्ता मनोज जागलान ने दिया. उन्होंने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा अराजनैतिक और किसान मजदूर मोर्चा दोनों संगठनों ने बात करके लोकसभा चुनाव में किसानों के लिए संदेश जारी किया है. जब भी बीजेपी, जेजेपी, कांग्रेस या किसी भी पार्टी का कोई पदाधिकारी आपके गांव में आए तो हमें शहीद किसान शुभकरण की फोटो लगी एक तख्ती लेकर उसकी सभा में बैठना है. सभा में उनके वक्ता द्वारा बात खत्म किए जाने के बाद हमें खड़े होकर सवाल पूछना है. सवाल हमारी मांगों से जुड़े होंगे. हम उसे काली पट्टी भी दिखाएंगे. विपक्ष के नेताओं से भी पूछेंगे कि जो हमारी 13 मांग हैं उन पर आपका क्या स्टेप है.
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हरियाणा में बीजेपी द्वारा सरकार से बाहर कर दिए जाने पर दुष्यंत चौटाला अब कह रहे हैं कि उन्होंने सरकार में रहते हुए किसानों के हित में काम किए. उनके इस बयान में मोर्चा के प्रवक्ता ने कहा कि दुष्यंत चौटाला और उनके पिता दोनों ने किसानों के खिलाफ काम किया है. वो आंदोलन को फुस्स बता रहे थे. उनके शासन में किसानों पर लाठी चार्ज होती रही. उसके बावजूद सरकार के साथ मिली भगत करके वो सत्ता सुख भोगते रहे.
आज उनका गठबंधन टूट गया तो किसान याद आ गए. अब बेरोजगार भी याद आ रहे हैं. अब दुष्यंत चौटाला को हरियाणा के किसान कभी माफ नहीं करेंगे. किसान समाज उसके साथ खड़ा होगा जो किसान समाज के साथ खड़ा है. किसान अपने दुश्मनों को पहचान रहा है उसे और उसे कुछ बताने की जरूरत नहीं है. ऐसे लोगों को जवाब दिया जाएगा.
जागलान ने कहा कि अपने कार्यकाल में किसानों पर जिस तरह से मनोहरलाल खट्टर ने जुल्म किए हैं उसको देखते हुए उनकी छवि एक किसान विरोधी नेता की बनी गई है. हरियाणा में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनने के बाद इस आंदोलन को लीड कर रहे नेताओं के पास राज्य सरकार के कुछ अधिकारी लोग आए थे. उन्होंने कहा था कि हरियाणा सरकार आपसे बातचीत करना चाहती है और केंद्र से भी बातचीत करवाने के लिए तैयार है. किसान नेताओं ने कहा कि हम भी बातचीत चाहते हैं लेकिन जो पिछली बार तरीका था कि पत्र भेजकर बातचीत के लिए बुलाया जाता था उसी तरह की व्यवस्था होनी चाहिए.
पत्र में मिलने के समय, बैठने की जगह आदि की डिटेल होनी चाहिए. मौखिक तौर पर हम आगे नहीं बढ़ेंगे. अधिकारियों ने कहा कि हम सरकार के समक्ष यह बात रखेंगे. उसके बाद आचार संहिता लग गई और अब तक कोई पत्र नहीं आया है. हालांकि एक बड़ा बदलाव जरूर हुआ है. जब मनोहरलाल खट्टर सीएम थे तब शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे थे लेकिन सैनी के सीएम बनने के बाद इस तरह की कोई स्थिति नहीं है.
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