केन्द्र सरकार ने दो साल पहले बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान केन्द्र खोलने की घोषणा की थी. लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार में तालमेल की कमी होने के कारण इस पर कोई काम नहीं हो पाया है. बाजरा अनुसंधान केन्द्र बाड़मेर में खोलने के पीछे की वजह ये थी कि यहां राजस्थान का सबसे अधिक बाजरा उगाया जाता है. केन्द्र सरकार ने दो साल पहले बाड़मेर के गुड़ामालानी में 100 एकड़ जमीन पर यह अनुसंधान केन्द्र खोलने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक राज्य सरकार ने इसके लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराई है. ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि जो जमीन केन्द्र के लिए तय की गई, उसमें स्थानीय नेताओं ने अड़ंगा लगा दिया. इसके बाद नई जमीन तलाशी जाने लगी, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से वह तलाश अब तक पूरी नहीं हुई है.
राजस्थान में इसी साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन केन्द्र की बीजेपी और राज्य की कांग्रेस सरकार के बीच तालमेल की कमी से इस प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी राज्य सरकार पर इस देरी का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, “राजस्थान सरकार केन्द्र के हर प्रोजेक्ट को लटका रही है. बाड़मेर के गुड़ामालानी में देश का पहला बाजरा अनुसंधान केन्द्र बनना है, लेकिन इसके लिए सरकार दो साल से जमीन आवंटित नहीं कर रही है. इसके लिए बार-बार पत्र लिखे गए हैं. केन्द्र बनने से बाड़मेर के किसानों को रोजगार मिलेगा. साथ ही बाजरे को लेकर बहुत सी रिसर्च हो सकेंगी. क्षेत्र की पहचान देश में होगी. इसीलिए राज्य सरकार जल्द ही इसके लिए जमीन आवंटित करे.”
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केन्द्र सरकार इस साल मोटे अनाज को काफी महत्व दे रही है. केन्द्र सरकार ने आम बजट में श्रीअन्न योजना भी लॉंच की है. ताकि मोटे अनाजों की पहुंच आम लोगों तक ज्यादा पहुंचे. बाजरे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बाकी अनाजों की तुलना में अधिक होती है. इसीलिए इसे खाना स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद है. ऐसे में अगर बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान केन्द्र खुलता है, तो मोटे अनाज में मुख्य अन्न बाजरे को लेकर महत्वपूर्ण रिसर्च संभव हो सकेंगी.
बाड़मेर के गुड़ामालानी में रिसर्च सेंटर बनाने के लिए आईसीएआर ने 2021 में एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने 2021 में अपनी रिपोर्ट आईसीएआर को सौंप दी. इसी रिपोर्ट में राज्य सरकार से 100 एकड़ जमीन की जरूरत की बात भी कही गई थी. इसके बाद से ही कई पत्र लिखे जाने के बाद भी अब तक जमीन अलॉट नहीं हो पाई है.
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राजस्थान में सबसे अधिक बाजरा बाड़मेर जिले में पैदा होता है. वहीं, देश में पश्चिमी राजस्थान सबसे अधिक बाजरा उत्पादन करता है. प्रदेश में बाजरे का कुल उत्पादन 3.75 मीट्रिक मिलियन टन है. यह देश के उत्पादन का कुल 42 प्रतिशत तक है. वहीं, देश में करीब आठ मिलियन हेक्टेयर में बाजरा बोया जाता है. राजस्थान में बाजरा मुख्य खाद्य अन्न है और इससे पशुओं के खाने के लिए चारा भी बनता है. चूंकि बाजरा बरसात आधारित फसल है. यह फसल 90 फीसदी तक मानसून की बारिश से ही पकता है. इसीलिए राजस्थान इस फसल के लिए सबसे मुफीद जगहों में से एक है.
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