गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी पालन, इसमे सबसे मुश्किल काम होता है पशु के हीट में आने के वक्त का पता लगाना. हालांकि जो लोग अपने पशु से संबंधित डाटा रखते हैं उनके लिए ये थोड़ा आसान है, लेकिन एक फिक्स टाइम का पता लगाने के लिए ऐसे लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ती है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो 10 अप्रैल से लेकर 15 जून तक बकरियां प्राकृतिक तरीके से हीट में आती हैं. लेकिन यहां ये भी पता करना होता है कि बकरी कब हीट में आ रही है. जैसे कोई सुबह आ रही है तो कोई शाम को.
हालांकि जो बकरियां पहली और दूसरी बार हीट में आती हैं तो उनके बारे में जल्द ही पता चल जाता है. क्योंकि हीट में आने पर बकरी रंभाने लगती है. लेकिन तीसरी बार हीट में आई बकरी शांत रहती है. ऐसे हालात से निपटने के लिए गोट एक्सपर्ट कुछ तरीके बताते हैं. अगर इन तरीकों को अपनाया जाए तो बकरी के हीट में आने के सही-सही वक्त का पता थोड़ी सी मेहनत से ही लगाया जा सकता है.
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स्टार साइंटीफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद ने किसान तक को बताया कि अगर बकरी सुबह हीट में आई है तो उसे शाम तक एक अच्छे ब्रीडर से या फिर आर्टिफिशल इंसेमीनेशन जो भी उस वक्त सुराक्षित हो से गाभिन करा देना चाहिए. और अगर शाम को हीट में आ रही है तो अगले दिन सुबह तक गाभिन करा दें. इसका एक फायदा ये भी है कि वक्त से बकरी को गाभिन कराने से बच्चा भी जल्दी मिल जाता है. वर्ना तो दोबारा हीट में आने के लिए 15 से 20 दिन का वक्त लग जाता है. अब बच्चा जल्दी आएगा तो दूध भी जल्दी देगी. वर्ना तो बकरी को बिना दूध के भी हर रोज चारा खिलाना पड़ता है जो लागत को बढ़ा देता है.
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राशिद का कहना है कि बकरी की हीट के बारे में पता लगाने के दो तरीके हैं. पहला जिन बकरियों के बारे में ये पता हो कि इनके हीट में आने की संभावना है तो उनका झुंड अलग बना दें. फिर उस झुंड में ब्रीडर बकरे को कंट्रोल करते हुए बकरियों के बीच में छोड़ दें. बकरा हीट में आई बकरी को सूंघकर अपना व्यवहार बदलने लगता है. इससे पता चल जाता है कि ये बकरी हीट में आ चुकी है. दूसरा ये कि जो खस्सी बकरा है जो ब्रीडर नहीं बन सकता है उसे बकरियों के झुंड में छोड़ दिया जाता है. वो भी कुछ इसी तरह का व्यवहार करता है और आसानी से हीट में आई बकरी के बारे में पता चल जाता है.
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