मौसम की बेरुखी के चलते किसानों के माथे पर शिकन की लकीरें अब बढ़ने लगी हैं. दिन का अधिकतम तापमान 40 डिग्री तक पहुंच चुका है. वही पूर्वांचल के कई जिलों में अब धान की फसल भी सूखे की चपेट में आकर सूखने लगी है. कालीन नगरी भदोही में भी बारिश में कमी के चलते धान की पैदावार को बचाने को लेकर किसानों की मुश्किलें बढ़ रही हैं. जनपद में जुलाई में केवल 44 फ़ीसदी ही बारिश हुई थी जबकि अगस्त में अभी तक 50 फ़ीसदी से भी कम बारिश हुई है.
अगस्त महीने में मात्र जनपद में 133 मिलीमीटर बारिश हुई है जबकि औसतन 285 से 290 मिमी बारिश होनी चाहिए. जुलाई-अगस्त में बारिश के कम होने की वजह से खरीफ की फसलों पर बुरा असर पड़ने लगा है. इससे उत्पादन भी प्रभावित होने की संभावना है.
पूर्वांचल का भदोही जनपद को काली नगरी के रूप में पहचान मिली हुई है. इस बार जनपद के किसान परेशान हैं. जुलाई और अगस्त महीने में सामान्य से 50 फ़ीसदी कम बारिश हुई है. ऐसे में मॉनसूनी बारिश की बेरुखी के चलते किसानों की उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है. अभी तक उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हो सकी है. किसानों को धान की फसल की सिंचाई नलकूप और नहर के भरोसे ही करनी पड़ रही है. बारिश न होने से इस बार जनपद में 26000 हेक्टेयर के सापेक्ष केवल 21000 हेक्टेयर भूमि में ही धान की रोपाई हो सकी है.
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भदोही जनपद में बारिश न होने से किसानों की धान की फसल अब सूखने लगी है. खेतों में दरारें बढ़ने लगी हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम विशेषज्ञ सर्वेश बरनवाल ने बताया कि अल-नीनो के कारण जुलाई में बारिश कम हुई है. वहीं अगस्त की शुरुआत में मॉनसून सही रहा लेकिन उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हुई. बंगाल की खाड़ी में मॉनसून सक्रिय होने के बाद जिले में बारिश की स्थिति बन सकती है. इस साल जून में 57.5 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि जुलाई में 170.5 मिलीमीटर बारिश हुई. वहीं अगस्त महीने में अभी तक 133 मिली मीटर बारिश ही दर्ज की गई है. यह बारिश सामान्य से काफी कम है.
भदोही जनपद में साल दर साल बारिश की मात्रा में कमी आ रही है...
साल जून जुलाई अगस्त
2016 80 360 359
2017 03 246 122
2018 04 479 549
2019 22 490 198
2020 316 385 109
2021 386 232 259
2022 75 180 141
2023 57.5 190.5 133
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