भारत विविधताओं से भरा देश है. यह बात कई मायनों में सच साबित होती है. ऐसी ही कुछ बात मॉनसून की बारिश को लेकर भी है. देश में मॉनसूनी बारिश एकसमान कम ही देखने को मिलती है. अगर ऐसा होता तो कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की समस्या नहीं होती. आज देश के कई इलाके ऐसे हैं जहां किसान फसलों में पानी के लिए तरस रहे हैं. वहीं कई इलाके ऐसे भी हैं कि किसान इस बात को रोना रो रहे हैं कि इतनी बारिश क्यों हो गई. कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां सामान्य बारिश हुई है. इसलिए खेती-किसानी के लिहाज से ये इलाके उपयुक्त साबित हो रहे हैं. तो आइए एक आंकड़े से जान लेते हैं कि देश में बारिश और सूखे के क्या हालात हैं.
बारिश और सूखे के बारे में कुछ बात करें उससे पहले हम इसे पांच हिस्सों में बांट देते हैं. यह बंटवारा बताएगा कि कहां अत्यधिक सूखा है, कहां अत्यधिक बारिश है, कहां कम बारिश है, कहां अधिक बारिश है और कहां सामान्य. इन पांच फैक्टर के आधार पर हम जानेंगे कि देश का कौन सा हिस्सा किस हालात से गुजर रहा है.
सबसे पहले बात अत्यधिक सूखे की जिसे अंग्रेजी में लार्ज डेफिशियंट कहते हैं. इसमें बारिश की कमी को -99 परसेंट से -66 परसेंट तक दर्ज किया जाता है. इस श्रेणी में देश के छह हिस्से आते हैं. हिमाचल प्रदेश में 73 परसेंट, पंजाब में 95 परसेंट, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 69 परसेंट, पश्चिम राजस्थान में 94 परसेंट, सौराष्ट्र, कच्छ और दीव में 92 परसेंट और अरुणाचल प्रदेश में 75 फीसद तक बारिश की कमी है.
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इस श्रेणी में देश के सात इलाके आते हैं. इसमें जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, बिहार, असम-मेघालय, पूर्वी राजस्थान और गुजरात, दमन शामिल हैं. आंकड़े के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में 31 परसेंट, उत्तराखंड में 20 परसेंट, बिहार में 37 परसेंट, असम-मेघालय में 58 परसेंट, पूर्वी राजस्थान में 43 परसेंट और गुजरात-दमन में 30 परसेंट बारिश की कमी है. इसमें 20 से 59 परसेंट तक बारिश की कमी होती है.
सामान्य बारिश की स्थिति तब कही जाती है जब मॉनसून की कमी -19 परसेंट तक से लेकर 19 प्रतिशत सरप्लस बारिश हो. यानी कुछ हद तक सरप्लस बारिश भी सामान्य में दर्ज की जाती है. इसमें देश के 11 हिस्से शामिल हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो परसेंट कमी है जबकि पूर्वी मध्य प्रदेश में छह परसेंट सरप्लस, झारखंड में -14 परसेंट, गंगीय पश्चिम बंगाल में -1 परसेंट, ओडिशा में 18 परसेंट सरप्लस, छत्तीसगढ़ में 9 परसेंट सरप्लस बारिश है. इसके अलावा मराठवाड़ा में -5 परसेंट, मध्य महाराष्ट्र में 9 परसेंट, कोंकण और गोवा में 12 परसेंट सरप्लस, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में 10 परसेंट सरपल्स और तमिलनाडु-पुडुचेरी में 19 फीसद सरप्लस बारिश है.
देश के कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां अधिक बारिश हुई है. इसमें छह इलाके आते हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश में 30 परसेंट, पश्चिम मध्य प्रदेश में 21 परसेंट, विदर्भ में 22 परसेंट, उत्तर आंतरिक कर्नाटक में 38 परसेंट, रायलसीमा में 43 परसेंट और केरल कुछ हिस्सों में 54 परसेंट अधिक बारिश हुई है. इसमें बारिश की मात्रा 20 से 59 परसेंट तक आती है.
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अत्यधिक बारिश तब कहते हैं जब इसकी मात्रा 60 परसेंट या उसको पार कर जाए. इस श्रेणी में मात्र दो इलाके दर्ज हैं. तेलंगाना में 107 परसेंट और तटीय आंध्र प्रदेश में 81 परसेंट तक अधिक बारिश दर्ज की गई है. इसके अलावा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 179 परसेंट और लक्षद्वीप में 76 परसेंट बारिश हुई है.
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