पश्चिमी विक्षोभ की वजह से जून महीने की शुरुआत में तापमान में कुछ गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन गर्मी अभी बाकी है दोस्त...इसको लेकर IMD पहले ही पूर्वानुमान जारी कर चुका है. हालांकि इससे पहले मई महीने में पड़ी भीषण गर्मी का भयावह अनुभव देश की बड़ी आबादी के पास है, जिसके बाद जून में पड़ने वाली गर्मी को लेकर देश की बड़ी आबादी की तैयारियां भी हैं, लेकिन इस बीच मई महीने में पड़ी भीषण गर्मी पर अब चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं.
भारत के कई राज्यों में मई के महीने में पड़ी भीषण गर्मी को विदेशी क्लाइमेंट एजेंसी अब तक अनोखी घटना बता रही है. इस पर इंंटरनेशनल क्लाइमेंट चेंज मॉनिटर एजेंसी Climameter ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें क्लाइमामीटर (Climameter) ने दावा किया है कि मई महीने में पड़ी गर्मी ने पहले के सालों में चली सभी लू के सभी पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया. मई महीने में चली लू का तापमान पहले चली गर्म हवाओं से 1.5 डिग्री अधिक रहा.
क्लाइमेंट चेंज मॉनिटर एजेंसी Climameter ने मई के महीने भारत में पड़ी गर्मी का अध्ययन किया है. एजेंसी के मुताबिक 26 से 29 मई तक नार्थ और सेंट्रल भारत के बड़े हिस्से में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई. जिसके तहत दिल्ली में 49.1 डिग्री का तापमान दर्ज किया गया. वहीं देश के 35 शहरों में 45 डिग्री से अधिक तापमान दर्ज किया गया. एजेंसी के मुताबिक इस गर्मी की वजह से मई महीने में 24 लोगों की मौत हुई.
इस गर्मी की वजह से बिजली की मांग अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जिसके कारण निवासियों को गर्मी से निपटने के लिए एयर कंडीशनिंग, कूलर और सीलिंग फैन का सहारा लेना पड़ा.
क्लाइमामीटर ने अपने विश्लेषण में पाया है कि भारत में मई के उच्च तापमान जैसी घटनाएं अनोखी हैं. क्लाइमामीटर ने अपने विश्लेषण में मई के महीने दर्ज पुराने तापमान के तुलानात्मक अध्ययन के आधार पर ये कहा है कि इस मई गर्म हवाओं का तापमान पिछले सालों की तुलना में 1.5 डिग्री अधिक था. क्लाइमाीटर की रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में हुए बदलावों से पता चलता है कि नई दिल्ली, जालंधर में पिछले दिनों की तुलना में वर्तमान में 1 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा गर्मी है.
देश-दुनिया में पड़ रही गर्मी के हम यानी मानव जिम्मेदार है. क्लाइमामीटर के अनुसार वर्षा के आंकड़ों से पता चलता है कि विश्लेषण किए गए क्षेत्र के एक बड़े हिस्से में वर्षा नहीं हुई है. हवा की गति के आंकड़ों से पता चलता है कि हवाएं की गति धीमी रही. कुल मिलाकर भारत में हीटवेव और जलवायु परिवर्तन के बीच एक स्पष्ट संबंध दिखाई दिया है. क्लाइमामीटर की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन विभिन्न तंत्रों के माध्यम से भारत में हीटवेव में वृद्धि में महत्वपूर्ण रूप से योगदान दे रहा है. मसलन, जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप होने वाली गर्मी ने अधिकांश भूमि क्षेत्रों में हीटवेव सहित गर्मी से संबंधित घटनाओं की आवृत्ति, तीव्रता और अवधि में वृद्धि की है, जिससे क्षेत्रों में तापमान और वर्षा प्रभावित होती है.
क्लाइमामीटर के अनुसार लू में जो बढ़ोतरी हुई है, वह ज्यादातर मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण हो सकते हैं. इसको लेकर फ्रांस के सीएनआरएस के डेविड फरांडा कहते हैं कि क्लाइमामीटर के निष्कर्षों से पता चलता है कि जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण भारत में लू असहनीय तापमान सीमा तक पहुंच रही है. 50 डिग्री तापमान के लिए भारतीय महानगरों को अनुकूलित करने के लिए कोई तकनीकी समाधान नहीं है. हम सभी को CO2 उत्सर्जन को कम करने के लिए अभी से काम करना चाहिए.
वहीं सिंगापुर के एनयूएस के जियानमार्को मेंगाल्डो कहते हैं कि क्लाइमामीटर के निष्कर्षों से प्राकृतिक परिवर्तनशीलता और जलवायु परिवर्तन के बीच जटिल अंतर्संबंध दिखाई देता है, जो निकट भविष्य में गर्मी की लहरों को काफी हद तक बढ़ा सकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today