दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों के कई शहरों में बढ़ते एयर पॉल्यूशन ने चिंता बढ़ा दी है. एयर पॉल्यूशन रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से एयरशेड कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने का प्रस्ताव भेजा है. यह कमेटी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद समेत अन्य शहरों में पॉल्यूशन की रोकथाम के लिए रणनीति और एक्शन प्लान बनाएगी. कहा गया कि सर्दियों के दौरान कम तापमान होने और हवा की स्पीड धीमी रहने के चलते पॉल्यूशन का बहाव भी धीमा हो जाता है. दिल्ली में खासकर सर्दियों के दौरान परेशानी होती है और राजधानी गैस चैंबर बन जाती है.
गंगा के मैदानी इलाकों में हर साल बढ़ने वाले एयर पॉल्यूशन से निपटने के लिए पैनल गठित किया जाएगा. इसके लिए यूपी सरकार ने बीती 23 जुलाई को केंद्र सरकार के अधीन पर्यावरण मंत्रालय को लिखे पत्र में आग्रह किया है. यूपी सरकार की ओर से कहा गया है कि गंगा के मैदानी इलाकों में वायु प्रदूषण के प्रबंधन के लिए एयरशेड कोऑर्डिनेशन कमेटी की जाएगी. अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा के मैदानी इलाकों (Indo Gangetic Plains) में वायु प्रदूषण की समस्या सबसे ज्यादा है.
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (Energy Policy Institute University of Chicago (EPIC)) के अनुसार एयर क्वालिटी में भारी गिरावट के चलते गंगा के मैदानी इलाकों में जीवन शक्ति में करीब 7 साल की कमी दर्ज की गई है. इन इलाकों में देश की 40 फीसदी आबादी रहती है. कहा गया कि सर्दियों के दौरान कम तापमान और धीमी हवा की गति जैसी प्रतिकूल मौसमी स्थितियों के चलते गंगा के मैदानी इलाकों में प्रदूषण का लेवल तेजी से बढ़ जाता है.
राज्य सरकार के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि उत्तर प्रदेश गंगा के मैदानी इलाकों में स्थित है. हम एयरशेड लेवल पर एयर पॉल्यूशन को नियंत्रित करने पर जोर दे रहे हैं. कहा गया कि पॉल्यूशन हवा के साथ बहता है, शहरों से गांवों और राज्य की सीमाओं को पार करता है. जैसे पंजाब में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं दूसरे राज्यों में चला जाता है. इसके अलावा दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा जैसे शहरों में कारखानों, ईंट भट्ठों के चलते भी एयर पॉल्यूशन बढ़ जाता है. हालांकि, इसे रोकने के लिए कई सख्त कदम उठाए गए हैं.
राजधानी दिल्ली में सबसे खराब हवा का स्तर साल 2019 में नवंबर महीने में दर्ज किया गया था. उस वक्त एक्यूआई 1200 से ज्यादा दर्ज किया गया था. एक्सपर्ट ने इसे सबसे जहरीली हवा बताया था. इसी तरह उत्तर प्रदेश में नवंबर 2023 में लखनऊ में हवा का स्तर सबसे खराब था. उस वक्त लखनऊ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 289 दर्ज किया गया था. जबकि, मुजफ्फरनगर में AQI 329 था, जो बहुत खराब माना गया था.
भारत राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के तहत दिल्ली केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार वर्तमान में 3 सितंबर 2024 को दिल्ली मयूर विहार, पटपड़गंज इलाकों में हवा का स्तर 74 AQI है, जो ग्रीन लेवल पर है. जबकि, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPCB) के अनुसार 3 सितंबर 2024 को नोएडा में 61 AQI है जो अच्छा स्तर है. इसी तरह गाजियाबाद में 79 AQI लेवल दर्ज किया गया है. जबकि, इन सभी के औद्योगिक क्षेत्रों में AQI लेवल 100 के पार है. 100 AQI के ऊपर को अच्छा नहीं माना जाता है. एक्सपर्ट ने कहा है कि सितंबर के बाद अक्तूबर से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र का हवा का स्तर बढ़ना शुरू होता है जो फरवरी तक खराब स्थिति में बना रह सकता है.
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