देश में सर्दियों के शुरुआत के साथ ही दिल्ली में हवा की क्वालिटी एक बार फिर गिर गई है, जो मुख्य रूप से पराली जलाने की वजह से खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 1 नवंबर को 35.2 फीसदी हो गया, जो पिछले दिन 27.6 फीसदी था, जो इस मौसम का उच्चतम स्तर है. यह खतरनाक बढ़ोतरी पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित प्रमुख कृषि राज्यों में खेतों में पराली जलाने का प्रभाव है.
पराली जलाना, फसल कटाई के बाद की एक आम प्रथा है, जिसमें अगली बुवाई के लिए खेतों को साफ करने के लिए फसल के अवशेषों को आग लगाया जाता है. किसानों के लिए सुविधाजनक होने के बावजूद, यह विधि वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), नाइट्रोजन ऑक्साइड सहित बड़ी मात्रा में प्रदूषण छोड़ती है. उत्तर-पश्चिमी हवाओं के साथ आने पर ये प्रदूषण उत्तर भारत और खासकर दिल्ली में वायु गुणवत्ता को काफी हद तक खराब कर देते हैं.
जैसे-जैसे दिवाली का त्यौहार समाप्त होता है, वैसे-वैसे पराली जलाने की प्रथा दिवाली के बाद काफी बढ़ जाती है, जिससे पंजाब, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के स्तर में खतरनाक वृद्धि हुई है. 2 नवंबर को, 24 घंटे की औसत AQI रीडिंग के तहत दिल्ली में AQI 316 दर्ज किया गया है, जो खतरनाक है. वहीं, गाजियाबाद में AQI 330 दर्ज किया गया, जबकि लुधियाना की वायु गुणवत्ता को 339 के AQI के साथ "बहुत खराब" दर्ज किया गया.
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पंजाब का अमृतसर 368 के AQI के साथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों उभरा, जो गंभीर स्थितियों का संकेत देता है. चंडीगढ़ 277 AQI दर्ज किया गया. साथ ही जींद और श्रीगंगानगर जैसे अन्य जिलों में भी 337 और 333 के उच्च AQI स्तर दर्ज किए गए.
सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग ने छह भारतीय राज्यों में धान की कटाई से जुड़े पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि का खुलासा किया है. 2 नवंबर, 2024 को, सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग ने 861 ऐसी घटनाओं का पता लगाया, जिसमें पंजाब सबसे आगे रहा. वहां 379 मामले दर्ज किए गए. अन्य राज्यों के लिए ब्रेकडाउन में हरियाणा में 19, उत्तर प्रदेश में 87, दिल्ली में कोई नहीं, राजस्थान में 80 और मध्य प्रदेश एमपी में 296 मामले आए. वहीं, 15 सितंबर से 2 नवंबर 2024 तक इन राज्यों में कुल 9,376 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई, जिसमें पंजाब में 3,916 मध्य प्रदेश में 2,302 घटनाएं, उत्तर प्रदेश में 1,272, राजस्थान में 1,036 और हरियाणा में 838 घटनाएं शामिल हैं.
ये डेटा चिंताजनक है क्योंकि इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही आंखों में जलन से भी लोग परेशान है. वहीं, पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जो 1 नवंबर को 587 मामलों के साथ इस अवधी में सबसे ऊपर पहुंच गई है, जबकि दिवाली यानी 31 अक्टूबर को 484 मामले थे. इसी प्रकार, मध्य प्रदेश में 2 नवंबर को 296 घटनाएं दर्ज की गई, जो 1 नवंबर को 226 और 31 अक्टूबर को 145 थीं. पंजाब में संगरूर, फिरोजपुर, तरनतारन और अमृतसर और मध्य प्रदेश में श्योपुर, रायसेन और होशंगाबाद जैसे प्रमुख जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं. (कुमार कुणाल की रिपोर्ट)
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