अगर शहरी लोगों को कुछ दिन तरोताजा रहने के लिए इस तरह की झोपड़ी मिल जाए तो वो क्या वो हिल स्टेशन जाएंगे? पर्यटकों से ठसाठस भरे टूरिस्ट स्पॉट पर सैर के लिए रुख करेंगे? या फिर विदेशों की महंगी यात्रा पर जाएंगे? पर्यटन का रुझान कहता है कि वो ऐसा नहीं करेंगे. इसी तरह के हट में टूरिस्ट ठहर जाना पसंद करेंगे.. अगर एक शब्द में कहें तो ये एग्री टूरिज्म का एक खाका है.. जिसे केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक सालों से धरातल पर उतारने में जुटी हैं.. और अब ऐसे कई टूरिस्ट स्पॉट आकार लेने लगे हैं, जो हर शहरी को गांवों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.. साथ ही साथ गांवों के हर किसान को देश की बढ़ती इकॉनमी का हिस्सा बनने का मौका दे सकते हैं..
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