बदलते दौर के साथ खेती-किसानी में महिलाएं भी आगे आ रही हैं. कड़ी मेहनत और हौसले के दम पर ये किसान बंपर मुनाफा भी कमा रही हैं. खेती के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियां उठाते हुए मिर्जापुर की प्रगतिशील किसान सरीश सिंह समाज के लिए उदाहरण है. आज हम आपको एक महिला किसान की स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की रहने वाली हैं. सरीश सिंह पूरे क्षेत्र की महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर सामने आई हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बघौड़ा गांव की प्रगतिशील किसान सरीश सिंह ने बताया कि खेती करना मेरा एक शौक है. जो इतनी जल्दी एक बड़ा आमदनी का जरिया बन जाएगा यह नहीं मालूम था.
हमने 14 महीने पहले 2 बीघे जमीन पर चेरी, चीकू, सफेद जामुन, बेर, ड्रैगन फ्रूट, आम, अमरूद, नाशपाती, सेब, संतरा, अनानास, आलू बुखारा, अंजीर, केरल का लाल केला, इमली, आडू के पौधा लगाया था. वे पिछले 14 महीने में 5 लाख रुपये के फल बेच चुकी हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा मुनाफा उन्हें ड्रैगन फ्रूट से हो रहा है. उन्होंने बताया कि इसके साथ गरम मसाला, तेजपत्ता, छोटी इलाइची, बड़ी इलाइची, दाल चीनी, हल्दी जैसे कई मसाले भी लगाए हैं. वहीं खाने की सभी सब्जियां भी अपने यहां लगाई हैं.
महिला किसान सरीश सिंह बताती हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में 1.70 लाख रुपये लागत आई थी, अब तक 2 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर चुकी हूं. क्योंकि दिसंबर तक हर 15 से 20 दिनों में ड्रैगन फ्रूट की तुड़ाई होती हैं. ऐसे में अभी आमदनी और ज्यादा होगी. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट 350 रुपये प्रति के रेट से खेत से बिक जाता है. वहीं चीकू फल 60 रुपये प्रति किलों के भाव से फौरन व्यापारी कैश देकर खरीद लेते है. सरीश ने बताया कि धान और गेहूं से ज्यादा मुनाफा हमको फलों की खेती करने में हो रहा है. वहीं अमरूद 20 से 30 रुपये किलो का दाम मिल जाता है. आडू फल की बिक्री भी बहुत होती है.
आपको बता दें कि सरीश सिंह एक ग्रहणी से महिला किसान बनकर आज घर बैठे लाखों की आमदनी कर रही हैं. ऑर्गेनिक खेती (जैविक) के जरिए फलों की खेती करने वाली सरीश ने बताया कि सभी पौधे हमको मिर्जापुर के उद्यान विभाग से मिल जाता है. हमारी फलों की सप्लाई मिर्जापुर की लोकल फल मंडी से लेकर वाराणसी तक होती है. हमारे फलों की डिमांड मार्केट में हमेशा बनी रहती है.
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