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बेंगलुरु की अच्छी- खासी नौकरी छोड़ दंपति ने शुरू किया बकरी पालन, अब 1000 लोगों को दे रहे रोजगार

बेंगलुरु की अच्छी- खासी नौकरी छोड़ दंपति ने शुरू किया बकरी पालन, अब 1000 लोगों को दे रहे रोजगार

जयंती स्टार्टअप मॉडल के बारे में बताती हैं कि किसानों को दो मादा बकरियां दी की जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक की उम्र लगभग 1 वर्ष होती है. बकरियां एक वर्ष में बच्चे देना शुरू कर देती हैं. उन्होंने कहा है कि बकरियों की डिलीवरी के बाद, किसान 50 प्रतिशत नई बकरियों को बकरी बैंक में वापस कर देते हैं.

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बकरी पालन से दंपति की चमकी किस्मत. (सांकेतिक फोटो) बकरी पालन से दंपति की चमकी किस्मत. (सांकेतिक फोटो)

जब कुछ अलग करने की चाहत हो तो सफलता पाने से दुनिया कोई भी शक्ति आपको नहीं रोक सकती है. बस इसके लिए आपको मन लगाकर अपने काम को करना होगा. कुछ ऐसे ही कर दिखाया है ओडिशा के कालाहांडी जिले के रहने वाले जयंती महापात्रा और उनके पति बीरेन साहू ने. एक दशक पहले दोनों बेंगलुरु में अच्छी कंपनी में नौकरी करते थे. मोटी सैलरी भी थी, लेकिन खेती करने की चाहत ने दोनों का गांव खिंच लाया. अब दोनों पति-पत्नी पैतृक गांव सालेभाटा में बकरी पालन कर रहे हैं. इससे उन्हें साल में लाखों रुपये की आमदनी हो रही है. खास बात यह है कि उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दे रखा है. इससे इन लोगों की जिन्दगी में खुशहाली आई है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जयंती महापात्रा और उनके पति बीरेन साहू ने अपने स्टार्ट-अप मानिकस्टु एग्रो के तहत बकरी पालन का बिजनेस शुरू किया है. वे अपने स्टार्ट-अप से न सिर्फ गांव के लोगों को रोजगार दिया है, बल्कि आसपास के 40 से अधिक गांवों के लोगों को सशक्त भी बनाया है. खास बात यह है कि दंपति ने एक 'बकरी बैंक' खोला है और सामुदायिक खेती के माध्यम से बकरी प्रजनन को बढ़ावा दे रहे हैं. मानिकस्टु एग्रो वर्तमान में महाराष्ट्र के फाल्टन में NARI (राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान) के बकरी पालन के शोधकर्ताओं के साथ जुड़ा हुआ है.

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40 गांवों के लोग स्टार्ट-अप से जुड़े हैं

जयंती महापात्रा ने कहा कि मेरे पति और मुझे हमेशा से खेती का शौक था. ऐसे में हमने कई हाई-टेक फार्मों, कृषि कंपनियों, डेयरियों, पोल्ट्री और अन्य कृषि-उद्यमों का दौरा किया. हमें आश्चर्य हुआ कि ओडिशा में ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता. यही कारण है कि हमने कालाहांडी में मनिकस्तु की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि मणिकस्तु का अर्थ है 'देवी मणिकेश्वरी की गोद में आशीर्वाद. इसे 2015 में पंजीकृत किया गया था. 40 गांवों के करीब 1,000 किसान मणिकस्तु से जुड़े हुए हैं.

किसानों को दी जाती हैं बकरियां

जयंती स्टार्टअप मॉडल के बारे में बताती हैं कि किसानों को दो मादा बकरियां दी की जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक की उम्र लगभग 1 वर्ष होती है. बकरियां एक वर्ष में बच्चे देना शुरू कर देती हैं. उन्होंने कहा है कि बकरियों की डिलीवरी के बाद, किसान 50 प्रतिशत नई बकरियों को बकरी बैंक में वापस कर देते हैं. बकरी बैंक में 40 पशुचिकित्सक हैं और उनमें से 27 स्थानीय महिलाएं और युवा हैं. वे मनिकस्तु से जुड़े बकरी पालकों को बकरियों की नियमित जांच, कृमि मुक्ति और टीकाकरण जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं. जयंती और बीरेन उन्हें बाजार से जुड़ाव प्रदान करते हैं. बीरेन ने कहा कि हम बकरी खाद, दूध, घी जैसे विभिन्न प्रकार के उत्पादों का उत्पादन करते हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में बेचे जाते हैं.

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ओडिशा स्त्री शक्ति पुरस्कार जीता था

बीरेन ने कहा कि वर्तमान में, सालेभाटा के मानिकस्तु फार्म में 500 बकरियां हैं. हमारा मॉडल महाराष्ट्र के सतारा जिले के डॉ. निंबकर से प्रेरित है, जिन्होंने बकरी प्रजनन में क्रांति ला दी थी. हमने यहां कम संख्या में किसानों के साथ सहयोग करके शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप अनुबंध खेती के माध्यम से किसानों को शामिल कर रहा है. इन किसानों की कमाई में आमूल-चूल बदलाव आया है. इन किसान परिवारों की महिलाएं भी बकरी पालन करके आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं. जयंती ने कहा कि जिन्होंने 2022 में स्टार्टअप ओडिशा स्त्री शक्ति पुरस्कार जीता था.