कठिन परिश्रम ,प्रतिभा से ज्यादा प्रभावशाली होता है.एक साधारण प्रतिभा का व्यक्ति भी प्रतिभावान से आगे निकल सकता है बशर्ते वह निरंतर कठिन परिश्रम करे. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. राजस्थान के छोटे से गांव झींगर की महिला किसान संतोष पंचार ने दो फीट की गाजर की उन्नत किस्म की खोज कर 3 एकड़ में गाजर बीज औऱ एक एकड़ में प्याज के बीज तैयार कर बेचती है. इससे 19 से 20 लाख की सालाना कमाई कर रही है साथ ही जैविक खेती भी करती है. वे जैविक खेती से राजस्थान का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है.संतोष पचार की यह कहानी जितनी रोचक देश के किसानों के लिए है ,उतना ही उन पढ़े-लिखे बेरोजगारों के लिए भी है जो सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर कुछ भी नहीं करना चाहते.इस तरह के युवाओं को भी यह महिला किसान नया रास्ता दिखा रही है .
संतोष पचार एक घरेलू महिला थी और यही थी इनकी पहचान लेकिन उनकी जिंदगी में नया मोड़ साल 2002 मे आया जब पारिवारिक बंटवारे मे संतोष और उनके पति के हिस्से में केवल पांच एकड़ जमीन आई, जिस पर खेती कर उनके परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल था क्योंकि यह बंटवारे में मिली जमीन राजस्थान के कम पानी वाले इलाके में आती है. लेकिन उसी दौरान संतोष को एक निजी संस्था द्वारा चलाए जाने वाले जैविक कृषि कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद वह अपने पति के साथ जैविक कृषि से संबंधित बैठक में शामिल हुई. संतोष इस जैविक कृषि सम्बधित बैठक में शामिल होने वाली पहली महिला किसान थी .वह पर्दा प्रथा के कारण खुलकर अपनी बातें बैठक में सबके सामने तो नहीं रख पाई, लेकिन इस कृषि कार्यक्रम में शामिल होने के बाद उन्हें जैविक कृषि का तरीका समझ मे आ गया था और उन्होंने जैविक खेती को अपनाने की ठानी.संतोष ने साल 2002 में 2 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत की थी.जब उनकी खेती अच्छी हुई तो उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को बताया .इसके बाद उस समय के तत्कालीन जिला कलेक्टर ने गांव में कृषि चौपाल रखकर संतोष पचार की खेती में किए गये प्रयासो की सराहना करते हुए उनको 11 हजार रुपए का इनाम दिया था. संतोष पचार ने सीकर शहर में पहुंचकर अपने उपज के लिए स्वयं ग्राहक तैयार किए. इसके बाद संतोष पचार का हौसला बढता गया.जैविक खेती में नये नवाचार करने लगी .
संतोष पचार ने गाजर के बीज में सुधार के लिए अच्छी गाजरो को छांटकर उनका बीज तैयार किया .इन बीजों से तैयार गाजर से फिर सबसे अच्छी गाजरे छांटकर अगले साल के लिए बीज तैयार किए .यह क्रम दस साल तक चलता रहा, इसके बाद गाजर कीअच्छी किस्मं तैयार हो गई .गाजर की लम्बाई डेढ़ से दो फूट थी और खाने में स्वादिष्ट, नरम और मीठी थी. उनके इस बीज से 99 प्रतिशतअच्छी किस्म की गाजर तैयार होती है. संतोष पचार ने अपनी मेहनत से 8-10 साल में गाजर के उत्कृष्ट श्रेणी का जैविक गाजर बीज तैयार किया है. संतोष पंचार 3 एकड़ में गाजर बीज औऱ एक एकड़ में प्याज के बीज तैयार कर बेचती है.
संतोष पचार ने एक साल में 3 एकड में गाजर बीज औऱ एक एकड़ में प्याज के बीज तैयार कर बेचती है. इसके अलावा जैविक तरीके से खेती कर रही है इससे उन्को 19 से 20 लाख की आमदनी हो रही है .संतोष जैविक तरीके से गाजर का बीज और प्याज का बीज तैयार करने के साथ ही सब्जियां और गेहूं की खेती भी करती हैऔर उस जैविक गेहूं को 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचती हैं. जैविक गेहूं की खेती वह एडवांस आर्डर पर ही करती है.वह कहती हैं कि जैविक खेती करें क्योंकि जैविक खेती करने से फसल को कम से कम पानी देने की जरूरत होती है.
संतोष को गाजर का उत्कृष्ट श्रेणी का जैविक बीज तैयार करने पर साल 2013 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नई दिल्ली में पुरस्कृत किया गया था. गाजर का जैविक बीज तैयार करने के मामले में वे देश में दूसरे नंबर पर रही थीं. वह 20 बीघा जमीन में जैविक खेती कर रही हैं. वह जयपुर, जोधपुर, दिल्ली मुंबई सहित देशभर में होने वाले किसान सम्मेलनों में जाकर किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित भी करती हैं. इनकी इस कामयाबी के लिए सरकार द्वारा कई बार इन्हे सम्मानित किया जा चूका है. अगर मन में कुछ कर गुजरने का हौंसला हो तो विपरीत हालात भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकते.कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी संतोष आज भी अपनी जड़ें नहीं भूली हैं. वह अपनी खेती की हर गतिविधि पर खुद नजर रखती हैं. यह उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि मुश्किलों का सामना करते हुए भी घरेलु महिला किसान आज खुद को एक आदर्श के तौर पर स्थापित करने में सफल रही हैं और देश की महिलाओं के लिए भी एक उदाहरण बनके सामने आई हैं.आज की महिलाओं के लिए संतोष एक प्रेरणा बन चुकी है .
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