किसानों को केल की खेती टिशू कल्चर तकनीक (Tissue Culture Banana Farming) से करके अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. इस खास तकनीक से फायदा बाराबंकी के मानपुर गांव निवासी किसान दिग्विजय सिंह को भी हो रहा है. वे दो बीघे जमीन पर केले की खेती कर एक फसल पर 2 से 3 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में दिग्विजय सिंह ने बताया कि वो बीते 5 वर्षों से फल, फूल और सब्जियों की खेती कर रहे है. क्योंकि इन फसलों में जो मुनाफा होता है वह पारंपरिक तौर पर होने वाली फसलों में नहीं मिल पाता. इस समय हमारे पास दो बीघे कैंडिला कंपनी का केला लगा है, जिससे हमें अच्छा लाभ हो रहा है. उन्होंने कहा कि एक बीघे में करीब 25 हजार रुपए की लागत आती है और मुनाफा 2 से 3 लाख रुपये तक हो जाता है.
बाराबंकी के मानपुर गांव निवासी किसान दिग्विजय सिंह बताते हैं कि कैंडिला कंपनी के केले की खास बात यह है कि अन्य केले के मुकाबले इसकी पैदावार अच्छी होती है और इसकी जो घार होती है. यह खाने में भी काफी मीठा होता है. इसका जो पौधा होता है हम हैदराबाद से मंगवाते हैं, जो हमें 18 रुपए एक पौधा पड़ता है. इसको एक बार लगाने के बाद 3 सालों तक फसल ली जा सकती है.
प्रगतिशील किसान दिग्विजय सिंह ने कहा कि केले की खेती करना काफी आसान है. सबसे पहले खेत की जुताई की जाती है. इसके बाद 5 बाई 5 की दूरी पर गड्ढे खोदे जाते हैं. फिर इसमें पौधे लगाए जाते हैं. उसके बाद जब पेड़ थोड़ा बड़ा हो जाए. फिर इसकी सिंचाई की जाती है और उर्वरकों के साथ कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है. जिससे पेड़ जल्दी तैयार हो जाता है. केले का पेड़ लगाने के बाद लगभग 14 से 15 महीने में फल देना शुरू कर देता है.
इस तकनीक में ऊतक संवर्धन का काम होता है. जिसमें पूरा पौधा तैयार करने की प्रक्रिया शामिल है. बढ़ते हुए पौधे के उपरी हिस्सों के टिश्यू को ऊपर से काट लिया जाता है. जिसके बाद टिश्यू को प्लांट हार्मोन और पोषक तत्व से मिलकर बनाई जैली में रखते हैं. जिससे पौधों की जड़ों का विकास होता है. जब पत्ते बनने लगते हैं तब पौधों की रोपाई करनी पड़ती है.
टिश्यू कल्चर विधि से यदि किसान केले की खेती करते हैं तो इसके जरिये बेहतर किस्म के फल प्राप्त होते हैं. इस तकनीक के माध्यम से पूरे साल केले की खेती की जा सकती है. जब भी रोपाई करें तो ध्यान रखें कि आपने 45 x 45 सेमी के आकार के गड्ढे बनाए हो. जिसमें रोपाई से पहले 250 ग्राम खली, 10 किलो खाद और डालकर उसे खुला छोड़ दें. जिसके बाद ही रोपाई करें.
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