देश के भीतर कई ऐसे किसान है जिनकी वर्षों के प्रयास के बदौलत कृषि क्षेत्र में बदलाव की बयार चलने लगी है. वाराणसी के राजा तालाब के टड़िया गांव के रहने वाले चंद्रशेखर सिंह ऐसे ही किसान है. उन्होंने 35 सालों कि अपनी मेहनत से न सिर्फ किसानों की पैदावार बढ़ाने वाली उन्नत किस्मों को विकसित किया बल्कि उन्होंने खेती को बिजनेस से जोड़ा. आज उनके द्वारा विकसित धान की 8 किस्में और गेहूं की एक किस्में भारत सरकार के द्वारा रजिस्टर्ड हो चुकी है. यह वे किस्में है जिनकी मदद से किसानों की पैदावार ही नहीं बढ़ी है बल्कि उनकी आय में भी इजाफा हुआ है. कृषि क्षेत्र में उनके इसी योगदान के चलते साल 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है.
वाराणसी के राजा तालाब के टड़िया गांव के रहने वाले किसान चंद्रशेखर सिंह ने खेती को उन्होंने बिजनेस से जोड़ा है. उनका मानना है कि परंपरागत खेती से किसानों को अतिरिक्त आय नहीं मिल सकती है. किसान जब तक एग्रीबिजनेस से नहीं जुड़ेगा उसको फायदा नहीं होगा. किसानों के लिए नए-नए माध्यम से जोड़ने और उनकी ट्रेनिंग करके उनकी आय बढ़ाने में चंद्रशेखर रघुवंशी ने बड़ा योगदान दिया है. सरकार भले ही एफपीओ के माध्यम से किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम दिलाने की कोशिश में जुटी है लेकिन इस तरह का प्रयास साल 2001 से ही चंद्रशेखर रघुवंशी कर रहे हैं. 2001 में उन्होंने किसानों को बीज प्रोसेसिंग क्षेत्र में काम करने के लिए एक प्लांट स्थापित किया हैं. इस प्लांट के जरिए किसान न सिर्फ अनाज से बीज का भी उत्पादन करते हैं. आज उनके पास इस तरह के कुल तीन सीड प्रोसेसिंग प्लांट है जिसे 200 किसानों को फायदा हो रहा है. यहां तक की इस प्लांट के माध्यम से 100 से ज्यादा युवाओं को रोजगार भी मिला है.
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पद्मश्री से सम्मानित चंद्रशेखर रघुवंशी के द्वारा अब तक धान की आठ और गेहूं की एक प्रजाति को विकसित किया गया है. उनके द्वारा विकसित धान की कुछ खास वैरायटी है जिसको किसानों के द्वारा आज भी काफी पसंद किया जाता है. खेती में शोध के माध्यम से चंद्रशेखर रघुवंशी आज भी कई फसलों की उन्नत किस्म पर काम कर रहे हैं जिसमें अरहर भी शामिल है. किसान तक से बात करते हुए चंद्रशेखर रघुवंशी ने बताया कि बीज अच्छे होंगे तो किसानों की फसल का उत्पादन 20 फ़ीसदी तक बढ़ जाता है. इससे उनकी आय में भी इजाफा होता है.
खुशबू 100 - धान किया किसने 120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. वही इस किस्म का चावल खुशबूदार होता है जो खाने में काफी स्वादिष्ट भी है.
वसुंधरा दामिनी - धान की किस्में 130 से 135 दिन में तैयार होती है. वही प्रति बीघा 16 क्विंटल तक इसकी पैदावार मिलती है.
मणि रत्नम- धान की इस किस्म का चावल लाल होता है. यह किस में काफी पौष्टिक मानी जाती है क्योंकि इसमें आयरन और प्रोटीन की मात्रा भी होती है. यहां तक की है शुगर के मरीजों के लिए भी उपयोगी है.
किसान चंद्रशेखर रघुवंशी को कृषि क्षेत्र में किसानों को उपज का अच्छा दाम दिलाने और उनकी नई किस्मों से उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्हें अब तक 22 से ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं. साल 2008 में पूसा के के द्वारा आईएआरआई से भी सम्मानित किया गया. 2010 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिला. 2011 में कृषि क्षेत्र में अच्छा काम करने के लिए जगजीवनराम पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वहीं 2021 में कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए पद्मश्री से सम्मानित किया गया हैं.
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