किसान ने सवा एकड़ खेत में शुरू किया किचन गार्डन, नीचे सब्जियां और ऊपर लगते हैं फलदार पेड़

किसान ने सवा एकड़ खेत में शुरू किया किचन गार्डन, नीचे सब्जियां और ऊपर लगते हैं फलदार पेड़

Kitchen garden: करनाल के किसान हैं भगवंत संधु जिन्होंने नए तरह की खेती शुरू की है. वे अपने सवा एकड़ खेत में किचन गार्डनिंग कर रहे हैं और इसमें सब्जियों के अलावा वे फलदार पौधों की खेती कर रहे हैं. उनकी इस नई तकनीक का फायदा अब दूसरे किसान भी लेना चाह रहे हैं.

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किसान ने सवा एकड़ खेत में शुरू किया किचन गार्डन, नीचे सब्जियां और ऊपर लगते हैं फलदार पेड़करनाल के किसान भगवंत संधु

कहते हैं, "अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती." करनाल के किसान भगवंत संधु ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. उन्होंने अपने खेतों में ऐसा किचन गार्डन विकसित किया है, जो न केवल उनकी जीवनशैली को बेहतर बना रहा है, बल्कि आसपास के किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुका है.

किचन गार्डन की शुरुआत

भगवंत संधु ने बताया कि उन्होंने अपने सवा एकड़ के खेत में किचन गार्डन की शुरुआत की, जहां नीचे सब्जियां और ऊपर फलदार पेड़ उगते हैं. इस गार्डन में लीची, गोल्डन सेब, चीकू, अमरूद, जामुन, नाशपाती, अंजीर, चखोत्रा और आम की कई किस्में उगाई जाती हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी फल बिना किसी रासायनिक दवा या स्प्रे के जैविक तरीके से उगाए जाते हैं, जिससे उनका स्वाद और गुणवत्ता बेहतरीन है.

स्वस्थ जीवन की ओर कदम

भगवंत संधु ने बताया कि बाजार में मिलने वाली सब्जियां और फल अक्सर रासायनिक तत्वों से भरे होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. इसलिए, उन्होंने अपने खेतों में जैविक खेती अपनाई, ताकि वे और उनका परिवार ताजे और स्वस्थ फल-सब्जियां खा सकें. उनका यह प्रयास न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है.

आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा

भगवंत के इस किचन गार्डन को देखकर आसपास के किसान भी प्रेरित हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के किसान उनके खेतों का दौरा करने आते हैं और जैविक खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं. भगवंत का मानना है कि हर किसान को अपनी खेती में जैविक तरीके अपनाने चाहिए, ताकि वे ताजे और स्वस्थ उत्पाद प्राप्त कर सकें.

परिवार और समुदाय की सराहना

भगवंत के भाई और गांव के पूर्व सरपंच शेर सिंह ने भी उनके प्रयास की सराहना की. उन्होंने कहा कि भगवंत ने न केवल अपने परिवार की जीवनशैली को बेहतर बनाया है, बल्कि पूरे गांव में जैविक खेती के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई है. शेर सिंह ने बताया कि उनके खेतों में सात तरह के नींबू की किस्में भी हैं, और वे आज तक बाजार से नींबू नहीं खरीदते.

भगवंत संधु की कहानी यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है. जैविक खेती की ओर यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ा सकता है, बल्कि हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है.

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