Success Story: सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह की सफलता की कहानी, जानिए बी-कीपिंग टिप्स उन्हीं की जुबानी

Success Story: सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह की सफलता की कहानी, जानिए बी-कीपिंग टिप्स उन्हीं की जुबानी

मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है. इस रोज़गार की एक और खूबी ये है कि कम खर्च में ही समाज का हर वर्ग इससे लाभान्वित हो सकता है. सालना लाखों की कमाई कर रहे सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह से जानते हैं मधुमक्खी पालन पर उनके अनुभव. इससे आपको इस व्यवसाय से जुड़ने में मदद मिलेगी.

Advertisement
Success Story: सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह की सफलता की कहानी, जानिए बी-कीपिंग टिप्स उन्हीं की जुबानीसफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह

आपके पास खेत नहीं है. जगह ज़मीन या व्यवसाय के लिए मकान नहीं है. बिजली-पानी की समस्या रहती है. पर आप व्यवसाय करना चाहते हैं, तो आप बहुत कम पूंजी से शुरुआत कर लाखों की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. जैसे-जैसे लोगों का झुकाव आयुर्वेद और नेचुरल चीज़ों की तरफ़ हो रहा है. वैसे-वैसे शहद की डिमांड बढ़ रही है. इसके साथ ही खेती के विकास के लिए फ़सल, सब्जियां और फलों के भरपूर उत्पादन के अलावा दूसरे व्यवसायों से अच्छी आय भी ज़रूरी है. इस लिहाज से भी शहद उत्पादन या मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है. इस रोज़गार की एक और खूबी ये है कि कम खर्च में ही समाज का हर वर्ग इससे लाभान्वित हो सकता है. इस बारे में सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह से जानते है, जो सालना लाखों की कमाई कर रहे है. उनके अनुभव से आपको इस व्यवसाय से जुड़ने में मदद मिलेगी.

बी-कीपिंग से राजू सिंह को लाखों का मुनाफा 

बिना खेत वाली खेती से कैसे लाखों रुपये लाभ ले सकते हैं, ये सीखा जा सकता है गोरखपुर पीपीगंज के रहने वाले राजू सिंह से. स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले सिंह को खेती का हुनर विरासत में मिला था. बचपन से ही वे अपने पिता दिग्विजय प्रताप सिंह के साथ खेती की गतिविधियों में शामिल हो गए और खेती का कौशल सीखना शुरू कर दिया. ग्रेजुएशन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारियों के साथ-साथ खेती का पूरा बोझ उनके कंधों पर आ गया.

ये भी पढ़ें: Beekeeping: मधुमक्खी पालन फसलों के लिए है वरदान , शहद के साथ तेजी से बढ़ता है उत्पादन, जानें और फायदे

राजू सिंह ने देखा कि पारंपरिक खेती में लागत के मुकाबले कोई फायदा नहीं है. उन्होंने खेती में नए प्रयोग करने का फैसला किया और मधुमक्खी पालन के हनी बी सेंटर से प्रशिक्षण लेने के बाद 1992 में मधुमक्खी पालन के दो बक्से से काम शुरू किया. इसके बाद राजू सिंह ने मधुमक्खी पालन को एक व्यवसाय रूप में विकसित किया. आज वे 1000 बक्सों के साथ मधुमक्खी पालन करके 350 क्विंटल शहद का उत्पादन करते हैं. वे करोड़ों का व्यवसाय करके हर साल 50 लाख की शुद्ध आमदनी ले रहे हैं. इसके साथ, उन्होंने मधुमक्खी बक्से, पराग, प्रोपोलीज और रॉयल जेली के व्यवसाय को भी विकसित किया है. यह उनके व्यवसाय में सफलता की ओर एक अहम कदम है. उनका बेहतरीन प्रयास और उनकी सफलता दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत हो सकता है.

राज्यपाल और मुख्यमंत्री कर चुके हैं सम्मानित

बड़े पैमाने पर शहद की अच्छी क्वालिटी का उत्पादन करने वाले राजू सिंह ने इसकी बिक्री शुरू करने के लिए हाई ग्रोथ एग्रो एंटरप्राइजेज नाम से कंपनी भी शुरू की है. उन्होंने कई किसानों को इसका हुनर सिखाया है और मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग भी देते हैं. शहद उत्पादन के क्षेत्र में अहम काम करने वाले राजू सिंह को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और राज्यपाल से पुरस्कार-सम्मान मिल चुके हैं. 

राजू सिंह के मधुमक्खी पालन में सफलता के टिप्स

सफल किसान राजू सिंह ने किसान तक को बताया कि मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए पहले ट्रेनिंग लेनी चाहिए और इसके लिए थोड़ी सी पूंजी की जरूरत होती है. नए मधुमक्खी पालन करने वालों के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर या नवंबर का महीना होता है, क्योंकि इस समय तोरिया और सरसों की खेती शुरू हो जाती है. इससे मधुमक्खियों को भरपूर परागकण मिलता है. राजू सिंह कहते हैं कि अगर मन लगाकर पूरी सावधानी बरतते हुए काम किया जाए तो सफलता आपके कदम चूमेगी. इसके लिए मधुमक्खियां, मधु बॉक्स, शहद निकालने का उपकरण जिसे हनी चैंबर कहते हैं, और कुछ सुरक्षा किट की जरूरत होती है.

राजू सिंह ने बताया कि 10 फ्रेम वाले सिंगल बक्से पर 5000 रुपये के आस-पास खर्च आता है और 20 फ्रेम वाले डबल फ्रेम का बक्सा 9000 रुपये तक में मिल जाता है. कोई भी 10 बक्सों से बी-कीपिंग काम की शुरुआत कर सकता है. उन्होंने बताया कि अलग राज्यों में हजारों किसानों को ट्रेनिग देकर इस व्यवसाय की शुरुआत कराई है.

शहद उत्पादन, लागत और मुनाफे का गणित

सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह के अनुसार साल भर सिंगल बक्से में 35 से 40 किलो और डबल फ्रेम बक्से से 80 से 85 किलो तक शहद मिल जाता है. पहले साल तो पूरी लागत वसूल हो ही जाएगी, बक्से भी दोगुने हो जाएंगे. अगले साल से बोनस के रूप में विशुद्ध मुनाफे का ग्राफ बढ़ता चला जाएगा. शहद मिलने के अलावा मधुमक्खियों की तादाद भी बढ़ती रहती है. हजार-डेढ़ हजार रुपये में खाली मधु बक्सों में जब मधुमक्खियां भर जाती हैं, तो वो बक्से 04-05 हजार रुपये मूल्य के हो जाते हैं. आप उन्हें बेच कर भी अच्छा मुनाफा ले सकते हैं. राजू सिंह ने कहा कि मोटा मोटी ये समझिए कि अगर शुरुआत में 01 लाख की लागत आएगी तो सालाना 03 से साढ़े 03 लाख तक की आमदनी हो जाती है.

बी-कीपिंग के लिए सब्सिडी का प्रावधान

राजू सिंह ने बताया कि बी-कीपिंग व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी देती हैं जो 40 फीसदी से 75 फीसदी तक है. देश में मधुमक्खी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसके लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड बना हुआ है. यह बोर्ड वित्तीय सहायता प्रदान करता है. इस कार्य में उद्यान विभाग और खादी ग्राम उद्योग भी मदद करते हैं.

शहद उत्पादन से दोहरा लाभ 

मधुमक्खी पालन में पूरी तरह पारंगत हो चुके राजू सिंह ने बताया कि फ़ायदे यहीं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मधुमक्खी पालन से आपकी फ़सल में भी अतिरिक्त इज़ाफा होगा. जिन खेतों के पास मधु बक्सों को रखा जाता है, वहां लगभग 10 से 30 फ़ीसदी तक उपज बढ़ जाती है. मधुमक्खियां फ़सलों के पॉलीनेशन में सहायक होती हैं.

ये भी पढ़ें: Success Story: वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस से बढ़िया मुनाफा कमा रहा ये शख्स, जानिए पूरी कहानी

फसल चक्र से साल भर शहद

मधुमक्खी पालक पहले शहद का उत्पादन सीज़नल कर पाते थे. लेकिन आपके लिए ये जानना ज़रूरी है कि आप साल भर शहद का उत्पादन ले सकते हैं. मधुमक्खीपालन में अगर उचित फ़सल चक्र अपना कर मधु बक्सों को रखा जाए, तो उत्पादन ज्यादा मिलता है. साल भर ऐसी फूल वाली फ़सलों को चुनें जिनसे मधुमक्खियों को उनका भोजन परागकण लगातार मिलता रहे. जैसे अगर आप अपने इन बक्सों को तोरिया, सरसों के खेतों के बाद, लीची और लीची के बाद यूकेलिप्टस और करंज जैसे सीजनल फूल वाले पौधों के बीच में रखते हैं, तो इससे आपको ज्यादा लाभ होगा.

 

POST A COMMENT