ब्राह्मी की खेती से मस्तिष्क से लेकर किसानों को भी हो रहा है चार गुना फ़ायदा

ब्राह्मी की खेती से मस्तिष्क से लेकर किसानों को भी हो रहा है चार गुना फ़ायदा

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के ऊंचाहार के किसान रामगोपाल चंदेल ने भी ब्राम्ही की खेती करना शुरू किया.  ब्राम्ही जहां मस्तिष्क विकारों के लिए एक आयुर्वेदिक औषधि का काम करती है तो वही इसकी खेती से किसानों को भी खूब फायदा हो रहा है

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ब्राह्मी की खेती से मस्तिष्क से लेकर किसानों को भी हो रहा है चार गुना फ़ायदा ब्राह्मी की खेती

 

सरकार के द्वारा किसानों को आयुर्वेदिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. कोविड महामारी के बाद से ही औषधीय पौधों की खेती का चलन पूरे देश में बढ़ गया.  इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के ऊंचाहार के किसान रामगोपाल चंदेल ने भी ब्राम्ही की खेती करना शुरू किया.  ब्राम्ही जहां मस्तिष्क विकारों के लिए एक आयुर्वेदिक औषधि का काम करती है तो वही इसकी खेती से किसानों को भी खूब फायदा हो रहा है. राम गोपाल जनपद के ऐसे पहले किसान है जो बड़े पैमाने पर ब्राम्ही की खेती करते हैं.  इस स्थिति में उन्हें सालाना डेढ़ से ₹200000 का मुनाफा भी हो रहा है. वहीं उन्होंने बताया कि  ऊसर- बंजर जमीन पर भी इसकी खेती की जा सकती है.  इसे ना तो ज्यादा सिंचाई देने की आवश्यकता है और नहीं उर्वरक देने की आवश्यकता पड़ती है.  इसका उत्पादन भी काफी अच्छा होता है .  वही ब्राम्ही को जानवरों से नुकसान का खतरा भी नहीं है.

ब्राह्मी से मस्तिष्क ही नहीं बल्कि किसानों को हो रहा फायदा

मस्तिष्क से जुड़ी हुई बीमारियों में आयुर्वेदिक औषधि के रूप में ब्राम्ही का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है.  पहले ब्राह्मी मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में किसानों द्वारा उगाई जाती थी लेकिन अब रायबरेली के प्रगतिशील किसान रामगोपाल चंदेल ने इसे अपने खेतों में सफलतापूर्वक उगा रहे हैं.  रामगोपाल चंदेल का कहना है कि वे पिछले 4 सालों से ब्राह्मी की खेती कर रहे हैं.  इस खेती को करने के पीछे फायदा बताया है.  उन्होंने बताया कि उनकी फसल जब तैयार हो जाती है तो लखनऊ, मध्य प्रदेश के नीमच और राजस्थान के व्यापारियों से उनका सीधा संपर्क है.  वे उनकी फसल को सीधे खरीद कर आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयोग करते हैं.

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ब्राह्मी की खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा

ब्रह्म की खेती करने वाले रायबरेली के किसान रामगोपाल चंदेल बताते हैं कि 1 एकड़ में ब्राह्मी की खेती पर कुल ₹35000 की लागत आती है जबकि प्रति एकड़ 40 क्विंटल फसल तैयार होती है.   इस फसल की साल में दो बार कटाई होती है. वही इसका रेट भी अच्छा मिलता है ₹5000 प्रति  क्विंटल का रेट उन्हें मिलता है जिसके हिसाब से 1 एकड़ में ₹165000 का मुनाफा उनको हो जाता है.  वही इस फसल कुछ जानवरों से भी कोई खतरा नहीं है क्योंकि छुट्टा जानवर जहां हर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन ब्राह्मी को वह नहीं खाते हैं.

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