विदेश से पढ़ाई करके भारत लौटे युवा अभिषेक इन दिनों वेस्ट टू वेल्थ के कॉन्सेप्ट पर काम कर रहे हैं और खराब और सूखे फूलों की मदद से धूपबत्ती बनाने के काम कर रहे हैं. वो इन सभी धूप को सूखे फूल और प्राकृतिक सामग्री की मदद से बनाते हैं.
अभिषेक ने बताया कि वो एक सोशल एंटरप्रेन्योर हैं और उन्होंने देश में बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए उन्होंने FLAAR नाम से स्टार्टअप शुरू किया है. क्योंकि अधिकांश लोग सूखे फूलों को नदियों में प्रवाहित कर देते हैं और इससे प्रदूषण होता है. अभिषेक खराब फूलों को मंदिर और मंडियों से एकत्रित करते हैं और उसको रीसायकल करते हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में फूल का प्रयोग होने के बाद करीब लगभग 1 हजार टन फूल नदियों में बहा दिए जाते हैं. जिसके बाद फूलों में मौजूद हानिकारक विषाक्त पदार्थ नदियों के मिल जाते हैं और नदियों को दूषित करते हैं. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर देश में नए-नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं, जिससे कि इस प्रदूषण को रोका जा सके. इसी क्रम में अभिषेक वेस्ट से वेल्थ की दिशा में काम कर रहे हैं.
अभिषेक ने बताया कि उनके घर में भी पूजा के प्रयोग में आने वाले फूलों को बाद में नदी में प्रवाहित करने के लिए कहा जाता था और वो भी ऐसा ही करते थे, लेकिन इस बात को उन्होंने गौर से समझा और इससे होने वाले प्रदूषण को लेकर गंभीरता से लिया. फिर इससे निजात पाने के लिए कुछ करने का मन बनाया.
अभिषेक बताते हैं वो और उनकी टीम मंदिरों और मंडियों में से खराब फूल एकत्रित करते हैं और फिर इसे सूखाकर इसको पीसते हैं. इसके बाद इसमें प्राकृतिक रूप से तैयार कुछ अन्य सामग्री के साथ मिश्रण तैयार किया जाता है. फिर साचों की मदद से इनको धूप और स्टिक का आकार दिया जाता है.
इनकी कंपनी का यह दावा है कि यह सभी प्रोडक्ट्स जैविक तथा इको फ्रेंडली हैं. इससे पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता. साथ ही वातावरण को सुंगधित करता है साथ ही मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को भी काफी हद तक कम करता है.
ये सभी प्रोडक्ट भी लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं, और इनका उपयोग कर लोग वातावरण को बेहतर और शुद्ध बनाने की दिशा में भी अपना सहयोग दे रहे हैं.
इन दिनों घरों के वातावरण को शुद्ध और सुगंधित बनाने के लिए संब्रानी कप का प्रयोग हो रहा है, इसको देखते हुए भी उन्होंने सूखे फूलों और प्राकृतिक पदार्थों को मिलाकर इसका निर्माण किया है.
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