यूपी : सोलर फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देगी याेगी सरकार

यूपी : सोलर फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देगी याेगी सरकार

यूपी में योगी सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के उपायों के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को खेती से जोड़ने की पहल की है. इसके तहत सरकार ने हाल ही में नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 लागू की है.

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यूपी : सोलर फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देगी याेगी सरकार  यूपी में सोलर फूड प्रोस‍ेसिंग यूनिट बनाने पर मिलेगी सब्सिडी (साभार : फ्रीपिक)

योगी सरकार ने खेती किसानी के काम में 'ग्रीन एनर्जी' के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाली फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान किया है. यदि यह यूनिट किसी महिला द्वारा संचालित है, तो सब्सिडी की सीमा 90 प्रतिशत तक कर दी गई है. सरकार की नई खाद्य प्रसंस्करण नीति में और भी कई प्रकार की सब्सिडी देने की घोषणा की गई है. इनमें सर्किल रेट से लेकर परिवहन, संयंत्र, मशीनरी और सिविल कार्यों पर दी जाने वाली छूट आदि भी शामिल हैं.

योगी सरकार ने नई खाद्य प्रसंस्करण नीति में कृषि उत्पादों को विश्व स्तर पर नई पहचान देने के लिए किसानों का रुझान फूड प्रोसेसिंग की ओर करने के उपाय किए हैं. इसके तहत छोटे किसानों को फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सब्सिडी देने की पहले से चल रही योजना का दायरा बढ़ाया गया है. इसमें पारंपरिक बिजली के बजाए सौर ऊर्जा से चलने वाली फूड प्रोसेसिंग यूनिट काे भी शामिल किया गया है. सोलर फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने से न सिर्फ ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसानों के बिजली के बिल की भी बचत होगी. 

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योजना का मकसद

असल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को सूक्ष्म और लघु उद्योगों की श्रेणी में शामिल किया गया है. ये उद्योग ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में ही लगाए जाते हैं. स्पष्ट है क‍ि इन उद्योगों के लिए अलग से बिजली कनेक्शन लेना किसानों के लिए मंहगा साबित होता है. इसे ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने उन्हें 75 केवीए तक के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर सब्सिडी देने का फ़ैसला लिया है. इसी वजह से सोलर यूनिट लगाने वाले पुरुष को 50 प्रतिशत और महिला उद्यमी को 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी.

माल की आवाजाही पर भी दी जाएगी सब्सिडी

उत्तर प्रदेश की सीमा 'लैंड लॉक्ड' होने के कारण यहां से अन्य देशों को माल भेजना बंदरगाहों के तटवर्ती राज्यों की तुलना में मंहगा पड़ता है. इसके मद्देनजर सरकार ने प्रदेश में प्रोसेसिंग उद्योग को अधिक से अधिक प्रतियोगी बनाने के लिये उत्पादों के निर्यात पर हुए खर्च का 25 प्रतिशत भाग को सब्सिडी के रूप में खुद वहन करने की पहल की है. परिवहन का यह खर्च देश में उत्पादन के स्थान से आयातक देश के बंदरगाह तक भेजने पर होने वाले व्यय के आधार पर तय होगा. इसके अलावा प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना पर संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य पर हुए खर्च के 35 प्रतिशत हिस्से को सब्सिडी के रूप में सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. इसकी अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपये होगी. इतना ही नहीं किसी प्रोसेसिंग यूनिट का विस्तार करने पर भी संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य पर किए गए व्यय पर 35 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी दी जाएगी. इसकी अधिकतम सीमा 1 करोड़ रुपये होगी. 

सर्किल रेट और सीएलयू पर मिलेगी छूट

नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति के तहत फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने वाले स्थान पर अगर चक रोड आती है, तो अब सर्किल रेट पर 25 प्रतिशत की धनराशि नहीं देनी होगी. पहले इसके लिये निवेशक को चक रोड की भूमि के बराबर दूसरी जगह जमीन देने के साथ उस भूमि के मूल्य की 25 प्रतिशत धनराशि भी देनी होती थी. इसके अलावा भू-उपयाेग में बदलाव कराने पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने वाले उद्यमी से खेती की जमीन के 20 प्रतिशत सर्किल रेट वसूल कर सीएलयू (कन्वर्ज़न ऑफ लैंड यूज) दिया जाता था. अब सीएलयू पर भी 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी. 

बाहरी विकास शुल्क और मंडी शुल्क संग सेस में भी छूट

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने पर पहले बाहरी विकास शुल्क वसूला जाता था, जो ज़्यादातर मामलों में जमीन की कीमत से ज़्यादा हो जाता था. नई नीत‍ि के त‍हत अब प्रदेश में ज़्यादा से ज़्यादा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने पर बाहरी विकास शुल्क में 75 प्रतिशत छूट देने की कार्य योजना तैयार की गयी है. इसके तहत प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिये स्टाम्प शुल्क में भी छूट दी जाएगी. इसके साथ ही प्रोसेसिंग के लिये दूसरे राज्य से लाए गए कृषि उत्पादों पर अब मंडी शुल्क और सेस में छूट मिलेगी. इसका मकसद दूसरे राज्य से लाए गए कृषि उत्पाद से प्रदेश में प्रोसेसिंग का दायरा बढ़ा कर रोज़गार के अवसरों और राजस्व कर में इजाफा करना है.

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