वित्त मंत्री सीतारमण ने मिलेट्स को 'श्री अन्न' बताते हुए कहा कि इसके उत्पादन एवं उपभोग को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा. जिससे भारत, आने वाले समय में श्री अन्न का दुनिया में गढ़ बन सके. जानकारों का मानना है कि मोटे अनाज की उपज, मिट्टी और मानव, दोनों की सेहत के लिए मुफीद है. इसीलिए मिलेट्स को प्राकृतिक संतुलन के लिहाज से उपयोगी माना गया है. खासकर, ग्लोबल वार्मिंग की आसन्न चुनौती के मद्देनजर मिलेट्स का उत्पादन और उपभोग लाभकारी है.
गौरतलब है कि सेहत के लिहाज से बेहतर खाद्यान्न के तौर पर मिलेट्स का कोई जवाब नहीं है. भारत, मिलेट्स का प्रमुख उत्पादक देश है. मिलेट्स के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि मोदी सरकार की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र ने साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है.
वरिष्ठ पत्रकार एवं कृषि मामलों के जानकार गिरीश पांडे ने बताया कि मोटे अनाज सही मायने में प्रकृति की देन हैं. इसीलिए इन्हें उत्तर भारत में देवान्न और दक्षिण में श्री अन्न या सिरु धान्य भी कहते हैं. यूपी मिलेट्स के उत्पादन वाले संभावित इलाकों का अध्ययन कर रहे पांडे ने कहा कि मिलेट्स की उपज बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती से निपटने में मदद मिल सकती है.
हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुड़े एक अध्ययन रिपोर्ट के हवाले से पांडे ने कहा कि अगले दशक में धरती का तापमान करीब 2 डिग्री से. तक बढ़ना तय है. नतीजतन मौसम चक्र में अप्रत्याशित बदलाव का दौर देखने को मिल सकता है. उन्होंने दलील दी कि गेंहू जैसी फसल तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होती है. ऐसे में गेंहू वर्ग की फसलों पर ग्लोबल वार्मिंग का गंभीर असर पड़ेगा. मिलेट्स की खेती में कम पानी की दरकार होती और ये तापमान के प्रतिरोधी भी होते हैं. बाजरे का परागण तो 45 से 50 डिग्री से. पर भी हो जाता है. इस लिहाज से देखेंगे तो मिलेट्स ही भविष्य की खेती होगी.
पर्यावरणविद गुंजन मिश्र ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु पूरी तरह से मिलेट्स की खेती के लिए मुफीद है. हरित क्रांति के दौरान मिलेट्स का उत्पादन एवं उपभोग पीछे चला गया. उन्होंने कहा कि पानी की अधिकता वाली धान और गेहूं जैसी ताप संवेदी फसलों के कारण ही आज ग्लोबल वार्मिंग जैसी पर्यावरणीय चुनौती का सामना करना पड रहा है. ऐसे में ताप संतुलन में मदद करने वाले मिलेट्स का उत्पादन बढ़ने से मिट्टी की सेहत तो ठीक होगी ही, साथ में इंसान का स्वाद एवं स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहेगा. ऐसे में मिलेट्स को बढ़ावा देना समय की मांग है.
भारत में आम तौर पर मोटे अनाजों का व्यापक पैमाने पर उत्पादन होता है. पांडे ने बताया कि मिलेट्स भारत के लिए प्रकृति की अनमोल देन हैं. सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर इन अनाजों को सीतारमण ने अपने बजट भाषण में 'श्री अन्न' कहकर पुकारा. भारतीय परंपरा में इन अनाजों को 'देवान्न' के नाम भी पुकारा जाता है.
गौरतलब है कि आधिकारिक तौर पर मिलेट्स की श्रेणी में आठ तरह के अनाजों को शामिल किया गया है. भारतीय खानपान में अहम स्थान रखने वाले ये अनाज बाजरा, ज्वार, रागी, सांवा, कंगनी, कोदों, कुटकी और चीना हैं. पांडे ने वित्त मंत्री द्वारा बजट में मिलेट्स को महत्व दिए जाने को बेहतरीन पहल बताया. पांडे ने कहा कि जिसे अब तक मोटा अनाज या 'कुअन्न' कहकर उपेक्षित कर दिया गया था, उसे 'श्री अन्न' कह कर, वित्त मंत्री ने मिलेट्स के महत्व को पुन: स्थापित किया है. ऐसा करने से मिलेट्स की खूबियों से लोग वाकिफ होंगे.
सीतारमण ने मिलेट्स के महत्व का जिक्र करते हुुए कहा, 'भारत, श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक व दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत को श्री अन्न का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के मकसद से भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में समर्थन दिया जाएगा.' उन्होंने कहा, 'भारत कई तरह के ‘श्री अन्न’ के उत्पादन में शीर्ष पर है. इनमें ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना आदि शामिल हैं. यह सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं.'
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी भरोसा जताया कि श्री अन्न योजना के फलस्वरूप मिलेट्स के मामले में भारत दुनिया का गढ़ बनेगा. तोमर ने ट्विटर पर कहा, 'भारत बनेगा ग्लोबल हब फॉर मिलेट. पोषक अनाज को 'श्री अन्न' के नाम से जाना जाएगा. दुनिया में पोषक अनाज श्री अन्न का भारत सबसे बड़ा उत्पादक.''
कृषि राज्य मंत्री कैलाश गहलोत ने भी कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए बजट में किए गए प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा, '20 लाख करोड़, कृषि ऋण फंड, मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना ! भारतीय मिलेट्स संस्थान का गठन होगा ! मुफ्त अनाज पर 2 लाख करोड़ का बजट ! बागवानी योजनाओं के लिए 2200 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत !'
वित्त मंत्री सीतारमण ने भारत को मिलेट्स का वैश्विक केन्द्र बनाने की योजना के बारे में कहा कि श्री अन्न के उत्पादन और उपभोग को लेकर, भारत अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को विश्व बिरादरी के साथ साझा करेगा. गौरतलब है कि हैदराबाद स्थित मिलेट्स अनुसंधान संस्थान इस दिशा में पहले से ही कार्यरत है. अब सरकार की ओर से श्री अन्न को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की योजना के तहत इस संस्थान को उत्कृष्टता केन्द्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में विकसित किया जाएगा. सीतारमण ने कहा कि श्री अन्न को लोकप्रिय बनाने में भारत का अग्रणी योगदान है. इसके उपभोग से खाद्य सुरक्षा और किसानों की स्थिति में सुधार होता है. इसलिए, इसको बड़े स्तर पर लोगों के बीच प्रचारित और प्रसारित करने की योजना है.
मिश्र ने कहा कि मिलेट्स अनुसंधान केंद्र को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाये जाने से श्री अन्न पर नए शोध होंगे, नई प्रजातियों का विकास होगा, जिससे इनकी उपज बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से ये प्रजातियां रोगों एवं कीटनाशकों के लिए प्रतिरोधी होंगी. साथ ही इनकी उपज अधिक समय तक भंडारण योग्य भी होगी. मिलेट्स को फोर्टिफाइड करके इन्हें और ज्यादा उपयोगी बनाया जा सकेगा.
यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केन्द्रीय बजट में मिलेट्स के महत्व को प्रमुखता से पुन:स्थापित करने का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि मिलेट्स का उत्पादन और उपभोग बढ़ाने के लिए यूपी सरकार ने पहले ही 'मिलेट्स पुनरुद्धार योजना' शुरू कर दी है. इसके लिए पूरे प्रदेश में मिलेट्स के उत्पादन की संभावना वाले इलाकों की पहचान कर किसानों को इन्हें उपजाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. किसानों को मिलेट्स के बीज मुफ्त में देने और इनकी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) पर खरीदने की भी यूपी में शुरूआत हो चुकी है. शाही ने कहा कि योगी सरकार पहले से ही मिलेट्स के प्रति सचेत है. इस योजना के तहत पहली बार 18 जिलों में बाजरे की एमएसपी पर खरीद हो रही है. लिहाजा यहां के किसान ऐसी किसी पहल से सर्वाधिक लाभान्वित होंगे.
केन्द्र सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार श्री अन्न सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं. श्री अन्न में शुमार बाजरा न सिर्फ शरीर का वजन नियंत्रित करने में मददगार होता है, बल्कि डायबिटीज के रोगियों में शुगर लेवल दुरुस्त रखता है. इतना ही नहीं बाल, त्वचा और नाखूनों को भी बाजरा पोषण प्रदान करता है. इसके अलावा कैल्शियम और प्रोटीन की प्रचुरता वाला रागी का प्रयोग, कम उम्र में ही बुढ़ापा झलकने की समस्या रोकने में मददगार माना गया है. इसी प्रकार प्रोटीन का बेहतर स्रोत माना गया ज्वार, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और पाचन को दुरुस्त रखने के साथ दिल की सेहत को भी बेहतर रखता है. कैल्शियम, पोटेशियम और कार्बोहाइड्रेड की प्रचुरता वाला रागी शरीर की हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है.
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