एक समय था जब मोटे अनाज को लोग यह कहकर नकार देते थे कि यह गरीबों का खाना है. मोटे अनाज की जगह गेहूं और चावल बदलकर लेते थे. लेकिन एक बार फिर वो वक्त लौट आया है जब गरीबों का खाना अमीरों की थाली की शान बढ़ा रहा है. इतना ही नहीं अब स्कूलों में भी मोटे अनाज को प्राथमिकता दी जा रही है. कुपोषण जैसी चुनौतियों से लड़ने के लिए हमें बहुत पहले से मोटे अनाजों से हाथ मिलाने की जरूरत थी, लेकिन जैसा कि कहा जाता है, देर आए दुरुस्त आए. भारत अब इस मामले की गंभीरता को समझ चुका है. इसी कड़ी में आंध्र सरकार स्कूलों में बच्चों को रागी परोसने जा रही है. क्या है पूरी खबर आइए जानते हैं.
छोटे बच्चों में कुपोषण की समस्या भारत के लिए हमेशा से एक समस्या रही है. ऐसे में इससे निपटने के लिए अब मोटे अनाजों की ओर देखा जा रहा है. बाजरा के महत्व को समझते हुए, आंध्र प्रदेश सरकार सत्य साईं ट्रस्ट के साथ मिलकर काम कर रही है. सत्य साईं ट्रस्ट पूरे खर्चे का 48% वहन करेगा. बाकी खर्च आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा उठाई जाएगी.
बच्चों को मिड डे मील में रागी से बना खाना परोसा जाएगा. मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को बच्चों को खाने में रागी दिया जाएगा. इस काम के लिए सरकार 824 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है. सालाना 86 करोड़ अतिरिक्त खर्च सरकार की ओर से किया जाएगा. बच्चों को 15 तरह के फूड आयटम मिड डे मीलमें दी जाएगी. आपको बता दें आंध्र प्रदेश सरकार मिड डे मीलमें बच्चों को अंडा कड़ी, वेजीटेबल पुलाव, पुंगली, लेमन राइस, टमाटर का आचार और रोज उबले अंडे देती है.
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आंध्र प्रदेश में मिड डे मील योजना का नाम बदलकर गोरू मुद्दा रखा गया है. जिसका हिन्दी में भावार्थ मां के हाथ से निवाला खाने यानी आहार खाने से है. जगन मोहन रेड्डी ने इस योजना का शुभारंभ मंगलवार को अपने कैंप ऑफिस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों के साथ ही अधिकारी और पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे.
खाने के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. आंध्र प्रदेश सरकार अपनी एक योजना के तहत सरकारी स्कूलों में शिक्षा के सुधार पर काम कर रही है. जिसके तहत सरकार स्कूली बच्चों को टैबलेट भी दे रही है सरकार. इसका फायदा 37 लाख बच्चों को मिलेगा.
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