शुगर बेस्ड इथेनॉल प्रोडक्शन से देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हो रहा है. सरकार के अनुसार सरप्लस चीनी को इथेनॉल के उत्पादन में लगाने से 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है, जिससे दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों की चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार आया है. इससे किसानों का बकाया चुकाने में मदद मिली है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि सरप्लस शुगर को इथेनॉल प्रोडक्शन में लगाने से मिलों को गन्ना बकाया चुकाने में भी मदद मिली है, जो गन्ना किसानों के लिए वित्तीय रूप से लाभदायक रही है और उन्हें गन्ने की रकम मिलने में तेजी आने के साथ आसानी भी हुई है.
इथेनॉल इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम (Under Ethanol Interest Subvention Scheme) के तहत सरकार प्रोजेक्ट सपोर्टर्स के जरिए बैंकों, वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज पर एक साल की मोहलत सहित 5 साल के लिए 6 फीसदी सालाना या बैंक की ओर से लगाए गए ब्याज की दर के 50 प्रतिशत जो भी कम हो पर ब्याज सहायता देती है.
मंत्रालय के अनुसार इस योजना के चलते देश में इथेनॉल प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़कर 1,380 करोड़ लीटर हो गई है, जिसमें चीनी आधारित फीडस्टॉक से 875 करोड़ लीटर और अनाज आधारित फीडस्टॉक से 505 करोड़ लीटर इथेनॉल शामिल है. इससे 500 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल के उत्पादन के साथ पेट्रोल के साथ इथेनॉल के 12 प्रतिशत मिश्रण की उपलब्धि हासिल हुई है.
ये भी पढ़ें - दालों की महंगाई रोकने के लिए तूर और उड़द आयात कर रही सरकार, म्यांमार से 14 लाख टन खरीद सौदा
इस कार्यक्रम के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है, क्योंकि 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आया है. इससे दूरदराज के क्षेत्रों में रोजगार के हजारों अवसर भी पैदा हुए हैं. सरकार ने यह भी दावा किया है कि चीनी सीजन 2021-22 तक गन्ने का 90 फीसदी से अधिक बकाया चुका दिया गया है. पिछले चीनी सीजन 2022-23 के लिए गन्ना किसानों को 1.12 लाख करोड़ रुपये का भुगतान जारी किया गया है. इस रकम से किसानों का 98 फीसदी गन्ना बकाया चुकाया जा चुका है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today