देश के 21 राज्यों के नौकरी पेशा लोगों के साथ ही सलाहकार सेवाएं देने वाले पेशेवरों को प्रोफेशनल टैक्स चुकाना होगा. इसके साथ ही चपरासी, ऑफिस बॉय और सेल्समैन का काम करने वाले भी प्रोफेशनल टैक्स के दायरे में हैं. राजस्व का बड़ा सोर्स प्रोफेशनल टैक्स के रूप में राज्य कलेक्ट करते हैं. राज्यों ने प्रोफेशनल टैक्स के लिए प्रतिमाह कमाई की सीमा निर्धारित की है जो प्रतिमाह 4,166 रुपये से लेकर 3 लाख प्रतिमाह तक है. हालांकि, दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने इस टैक्स को लागू नहीं किया है.
कुछ राज्य सरकारें तय स्तर से ऊपर आय हासिल करने वाले वेतनभोगी व्यक्तियों और गैर वेतनभोगी लोगों पर प्रोफेशनल टैक्स लगाती हैं. इस टैक्स का भुगतान लगभग सभी कमाई करने वालो को चुकाना पड़ता है, भले ही आय का प्रकार कुछ भी हो, जैसे वेतन या पेशेवर आय जैसे परामर्श सेवा, व्यावसायिक आय कमाई या अन्य.
ET की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वेतनभोगी या ऐसे लोग जो व्यापार, व्यवसाय या किसी अन्य माध्यम जैसे सलाहकार, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर, कानूनी व्यवसायी आदि के जरिए कमाई करते हैं उन्हें प्रोफेशनल टैक्स भुगतान देना होगा. इसके अलावा यहां तक कि नॉन प्रोफेशनल बिजनेस में काम करके आजीविका कमाने वाले लोग भी प्रोफेशनल टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं. ऐसे लोगों में चपरासी, ऑफिस बॉय, सेल्समैन, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, कैशियर भी शामिल हैं.
प्रोफेशनल टैक्स तभी लगाया जाता है जब कोई व्यक्ति निर्धारित स्तर से ऊपर आय हासिल करता है. कुछ राज्यों में प्रति माह 4,166 रुपये से अधिक कमाने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रोफेशनल टैक्स का भुगतान करने की आवश्यकता होती है. जबकि, कुछ मामलों में जब कोई व्यक्ति प्रति माह 3 लाख रुपये से अधिक कमाता है तो उसे प्रोफेशनल टैक्स देने की आवश्यकता होती है.
वर्तमान में भारत में 21 राज्य प्रोफेशनल टैक्स लगाते हैं. जबकि, किसी भी केंद्र शासित प्रदेश में यह टैक्स नहीं लगाया जाता है. इसके अलावा कुछ राज्यों जैसे दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी प्रोफेशनल टैक्स नहीं लगाया जाता है. प्रोफेशनल टैक्स लगाने वाले कई राज्य कुछ कैटेगरी में लोगों को छूट भी देते हैं. इन कैटेगरी में दिव्यांग, विधवा महिला आदि शामिल होते हैं.
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आयकर अधिनियम के अनुसार कोई भी राज्य एक वर्ष में प्रोफेशनल टैक्स के रूप में 2,500 रुपये से अधिक नहीं लगा सकता है. इसका मतलब यह है कि प्रति माह प्रोफेशनल टैक्स 12 महीने तक प्रतिमाह 208.33 रुपये से अधिक नहीं हो सकता.
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राज्य सरकारों के लिए प्रोफेशनल टैक्स राजस्व का बड़ा सोर्स है. इसके कलेक्शन से प्राप्त आय राज्य सरकार, नगर पालिका के खजाने में जाती है. हालांकि, यदि किसी व्यक्ति के पास आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार शुद्ध टैक्स योग्य आय है तो वह देय आयकर कैलकुलेशन के उद्देश्य से अपनी टैक्सेबल इनकम से भुगतान किए गए प्रोफेशनल टैक्स के लिए कटौती क्लेम कर सकता है.वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए उनके संबंधित नियोक्ता कर्मचारी की ओर से प्रोफेशनल टैक्स का भुगतान करेंगे. नियोक्ता द्वारा भुगतान किया गया यह प्रोफेशनल टैक्स वेतनभोगी व्यक्ति के फॉर्म 16 पर दर्शाया जाएगा. इसे आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय व्यक्ति द्वारा कटौती के रूप में क्लेम किया जा सकता है.
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