प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम स्वनिधि योजना के तहत 1 लाख लाभार्थियों को बिना गारंटी लोन की राशि ट्रांसफर कर दी है. पीएम मोदी ने कहा कि पीएम स्वनिधि योजना रेहड़ी, पटरी, ठेले, पर काम करने वाले लाखों परिवारों का संबल बनी है. यह योजना पथ विक्रेताओं के सपनों को पंख और उनकी उन्नति को नया आसमान दे रही है. पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों की संख्या देशभर में 62 लाख से भी अधिक हो चुकी है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14 मार्च को दिल्ली के जेएलएन स्टेडियम में ‘पीएम स्वनिधि योजना’ के 1 लाख लाभार्थियों को लोन की राशि जारी कर दी है. इसके अलावा 5 हजार दिल्ली के नए रेहड़ी, पटरी और ठेले पर काम करने वाले लाभार्थियों को भी रकम जारी कर दी है. पीएम ने लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि पीएम स्वनिधि योजना रेहड़ी, पटरी, ठेले, पर काम करने वाले लाखों परिवारों का संबल बनी है. मोदी ने तय किया कि इनको बैंकों से सस्ता ऋण मिले और मोदी की गारंटी पर लोन मिले.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14 मार्च को दिल्ली के जेएलएन स्टेडियम में ‘पीएम स्वनिधि योजना’ के 1 लाख लाभार्थियों को लोन की राशि जारी कर दी है. इसके अलावा 5 हजार दिल्ली के नए रेहड़ी, पटरी और ठेले पर काम करने वाले लाभार्थियों को भी रकम जारी कर दी है. पीएम ने लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि पीएम स्वनिधि योजना रेहड़ी, पटरी, ठेले, पर काम करने वाले लाखों परिवारों का संबल बनी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वनिधि योजना की वजह से रेहड़ी-फुटपाथ-ठेले पर काम करने वालों की कमाई बढ़ गई है. खरीद-बिक्री का डिजिटल रिकॉर्ड होने की वजह से अब बैंकों से मदद मिलने में भी आसानी हो गई है. उन्होंने कहा कि मोदी ने तय किया कि इनको बैंकों से सस्ता ऋण मिले और मोदी की गारंटी पर लोन मिले.
महामारी के कारण गहराए वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान समाज के हाशिए पर पड़े तबकों या वर्गों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के 1 जून 2020 को ‘पीएम स्वनिधि’ योजना लॉन्च की गई थी. यह योजना हाशिए पर पड़े स्ट्रीट वेंडरों के समुदायों के लिए परिवर्तनकारी साबित हुई है. अब तक देशभर में 62 लाख से भी अधिक स्ट्रीट वेंडरों को 10,978 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि के 82 लाख से अधिक लोन वितरित किए जा चुके हैं. अकेले दिल्ली में 232 करोड़ रुपये की राशि के लगभग 2 लाख लोन वितरित किए गए हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today