उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में जल निगम के द्वारा घर-घर जल की आपूर्ति का काम किया जाता है. जल निगम के पंपिंग स्टेशन बिजली से संचालित होते हैं लेकिन अब सौर ऊर्जा (Solar power) की मदद से शहरों में पंपिंग स्टेशन चलाए जाएंगे. सीवर और जल के बिजली से चलने वाले पंपिंग स्टेशन ऑटोमेटिक सौर ऊर्जा संयंत्र से चलेंगे. राजधानी लखनऊ के मॉडल के आधार पर अब वाराणसी में इसकी शुरुआत हो चुकी है. इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी के साथ-साथ बिजली की बचत भी होंगी. सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपिंग स्टेशन में टाइमर सेट होगा जो निर्धारित किए गए जो समय के अनुसार चालू और बंद होगा. वही ये पम्प कैमरे से लैस होंगे. प्रदेश के 20 लाख की आबादी वाले शहरों को इस योजना का फायदा मिल सकेगा. वही जल निगम की बिजली खर्च में 35 से 40 फ़ीसदी की बचत भी होगी.
जल निगम यूपी के 20 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सीवर और जलापूर्ति के पंपिंग स्टेशन को सौर ऊर्जा से संचालित करेगा. जल निगम को हर महीने करोड़ों रुपए का बिजली का बिल भरना होता है लेकिन सौर ऊर्जा के माध्यम से चलने वाले पंपिंग स्टेशन से 40 फ़ीसदी तक बिजली की बचत होगी. इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी. सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों से प्रतिदिन 1.24 लाख लीटर पानी की आपूर्ति हो सकेगी. वही जल भंडार के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर और गोमती नगर की पांच लाख आबादी को पीने की पानी आपूर्ति करने वाला पंप सौर ऊर्जा के द्वारा संचालित होता है. यहां का बिजली का खर्च शून्य है. अब इसी मॉडल को प्रदेश के सभी शहरों में अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. जल निगम के मुख्य अभियंता विशेश्वर प्रसाद ने बताया कि पंपिंग स्टेशनों ,नलकूप के अलावा सीवेज पंपिंग स्टेशनों को सौर ऊर्जा में बदला जाएगा. इससे बिजली खर्च कम होगा. यूपी के नेडा के प्रस्ताव पर काम चल रहा है.
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सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप को गंगा से पानी मिलेगा. यह पंप समुदाय आधारित क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति में कारगर होंगे. गंगा किनारे छोटे कस्बों में जलापूर्ति के लिए सौर ऊर्जा आधारित पंप बेहद कारगर होंगे. पंप को ऑटोमेटिक स्टार्ट करने में इससे सुविधा है. वही पंप में लगे सेंसर से पता चल सकेगा कि मोटर चल रहा है या नहीं.
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