प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी अमेरिका दौरे पर हैं. एक दिन पहले ही उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की है. इस अवसर पर पूरी दुनिया का ध्यान इन दोनों राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात पर टिकी रही. इस बीच एक और बड़ी खबर निकल कर सामने आई जो भारत और अमेरिकी के व्यापारिक रिश्ते को मजबूत करती है. ये खबर है फर्टिलाइजर के निर्यात की. पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के बीच दुनिया की सबसे बड़ी कोऑपरेटिव संस्था इफको ने अमेरिका को नैनो यूरिया का निर्यात शुरू कर दिया है. यह नैनो यूरिया लिक्विड रूप में है जिसे दुनिया में सबसे पहले भारत के इफको ने आविष्कार किया है और निर्माण किया है.
इफको नैनो यूरिया को अमेरिका में निर्यात करने के लिए इफको और कपूर एंटरप्राइजेज इंक, कैलिफोर्निया के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका को नैनो यूरिया का निर्यात प्रधानमंत्री के 'सहकार से समृद्धि' और 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इफको नैनो यूरिया की कुल पांच लाख से अधिक बोतलें 25 से अधिक देशों में निर्यात की जाती हैं.
नैनो यूरिया के कई फायदे हैं जिनमें सबसे अहम है इसकी पोषक क्वालिटी. इसमें पोषक तत्व अधिक होने से फसलों की उपज बढ़ती है. नैनो यूरिया लिक्विड रूप में होने से इसमें केमिकल फर्टिलाइजर की मात्रा भी कम है. केमिकल फर्टिलाइजर पानी, जमीन और हवा के लिए भी जहर है क्योंकि इससे प्रदूषण बढ़ता है. केमिकल फर्टिलाइजर ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ाने में भी बड़ा रोल निभाता है. इन सभी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए नैनो यूरिया का निर्माण शुरू हुआ है जिसमें केमिकल फर्टिलाइजर की मात्रा बेहद कम है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेतों में यूरिया का इस्तेमाल कम करने की अपील की थी जिसके बाद नैनो यूरिया के कॉन्सेप्ट पर काम शुरू किया गया. हालांकि इस पर इफको के वैज्ञानिक कई साल से रिसर्च कर रहे थे जिसका परिणाम अभी लिक्विड नैनो यूरिया के रूप में देखा जा रहा है. इस यूरिया को बनाने के लिए नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, कलोल में रिसर्च पूरी की गई.
इसी के साथ इफको ने नैनो डीएपी लिक्विड भी पेश किया है और यह दुनिया भर के किसानों के लिए उपलब्ध है. नैनो डीएपी पौधों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बेहद अच्छा उर्वरक है. यह पारंपरिक और दानेदार डीएपी से सस्ता है. पौधों और जीवों के उपयोग के लिए सुरक्षित है और जहरीला भी नहीं है. इससे पारंपरिक डीएपी पर निर्भरता में भारी कमी आती है. यह सभी स्तरों पर पैसे की बर्बादी को भी कम करता है.
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इफको नैनो यूरिया लिक्विड की 500 मिलीलीटर की बोतल पारंपरिक यूरिया के कम से कम एक बैग की जगह ले लेगी. बोतल स्टोरेज और ढुलाई की लागत को काफी कम कर सकती है. कमर्शियल बाजार में अपनी स्थापना के बाद से इफको भारत में इफको नैनो यूरिया की 5.7 करोड़ से अधिक बोतलें बेच चुकी है. नैनो यूरिया और नैनो डीएपी दोनों खेती के क्षेत्र में बहुत बड़ा आविष्कार हैं जो टिकाऊ कृषि में मदद करते हैं.
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