बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने पटना के गांधी मैदान में राज्य के भूमिहीन किसानों को लेकर बड़ी घोषणा की है. कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग बिहार में जल्द शहद के उत्पादन और प्रोत्साहन के लिए नीति बनाएगा, जिसे सरकार राज्यभर में बढ़ावा देगी. खासकर भूमिहीन किसानों को शहद उत्पादन से जोड़ने की पहल को लेकर नीति बनाई जाएगी. भूमिहीन किसान मधुमक्खीपालन कर खुद को सशक्त बनाएंगे. सूरजमुखी, सहजन, सरसों, लीची जैसे फल फूलों के शहद का उत्पादन करने की नीति बनेगी. ये बातें उन्होंने तीन दिवसीय बागवानी महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में कही.
कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो राज्य के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्रिया-कलापों का आधार है. रंग-बिरंगे फल, फूल, सब्जी और अन्य बागवानी उत्पादों से सुसज्जित बागवानी महोत्सव, 2025 किसानों के उत्साह का गवाह है.
बागवानी महोत्सव में सभी जिलों से करीब 1500 किसानों ने 14 हजार से ज्यादा प्रदर्शों के साथ शामिल हुए हैं. बागवानी महोत्सव में प्रदर्शनी में लगभग 60 स्टॉल लगाए गए हैं, जहां से दर्शक मनपसन्द फल, फूल, सब्जी के बीज/बिचड़ा, पौधा, गमला, मधु, मखाना, मशरूम आदि खरीद भी सकते हैं.
मंत्री ने कहा कि बिहार की अर्थव्यवस्था में बागवानी खासकर फल, फूल, सब्जी, मसाला आदि की भूमिका अहम साबित हो रही है. वर्ष 2005 के समय राज्य में प्रतिव्यक्ति आय 7 हजार 500 के करीब थी, वहीं आज इस राज्य की प्रतिव्यक्ति आय 66 हजार हो गई है.
20 सालों में मुख्यमंत्री के नेतृत्त्व में राज्य में लगभग 8 गुणा से अधिक प्रतिव्यक्ति आय बढ़ी है, जिसमें किसानों की बढ़ी आय का बड़ा योगदान रहा है. अगर हम सभी राज्य को सुखी और समृद्ध बनाना चाहते हैं, तो बागवानी के माध्यम से किसानों को समृद्ध कर उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें - एग्रो बिहार कृषि मेला में किसानों ने खूब खरीदे कृषि उपकरण, 185 लाख रुपये छूट का उठाया लाभ
पांडेय ने कहा कि महोत्सव में सिर्फ बागवानी उत्पादों का प्रदर्शनी ही नहीं, बल्कि फल, फूल, सब्जी के बीज, बिचड़ा, पौधा, बागवानी उपकरण, मधु, मखाना, मशरूम, चाय आदि की बिक्री की भी व्यवस्था की गई है. बिहार में कुल 13.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की फसलों की खेती की जाती है, जिससे करीब 286.45 लाख मीट्रिक टन फल, फूल, सब्जी आदि बागवानी उत्पाद का उत्पादन होता है, जिसे आने वाले समय में और बढ़ाने का लक्ष्य है.
कृषि रोडमैप के लक्ष्य से आगे बढ़कर भी सोचने की जरुरत है. सालाना लक्ष्य निर्धारित करने की दिशा में भी हम सोच सकते हैं. हमें वर्ष 2025 में बागवानी का लक्ष्य बढ़ाकर 18 लाख हेक्टेयर एवं 2026 में इसे बढ़ाकर 20 लाख हेक्टेयर पर ले जाने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए. राज्य बागवानी के क्षेत्र में बिहार लगातार आगे की ओर बढ़ रहा है. आज हमारे किसान पारंपरिक बागवानी फसलों के साथ-साथ उच्च बाजार मूल्य वाले एक्जोटिक फल, ड्रैगन फ्रूट्स, स्ट्रॉबेरी आदि की खेती कर रहे हैं.
पांडेय ने कहा कि इन उत्पादों का उचित भंडारण हो, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन हो, बाजार की सुलभ उपलब्धता हो, कृषि विभाग इस दिशा में तीव्र गति से कार्य कर रही है. इस कड़ी में राज्य सरकार के द्वारा कृषि विभाग के अन्तर्गत कृषि मार्केटिंग निदेशालय का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य उपलब्ध करवाना, किसानों को बाजार की व्यवस्था उपलब्ध करवाना, किसानों के उत्पादों में मूल्य संवर्द्धन करवाना, भंडारण की सुविधा, बेहतर पैकेजिंग आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today