E-NAM Portal: केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं से कृषि और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग पहले की तुलना में आसान हो गई है. वैसे तो कई राज्यों में कृषि उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है. लेकिन, लॉकडाउन के बाद किसानों को उनकी उपज के मुताबिक काफी बेहतर दाम मिल रहा है. इस काम में नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट यानी ई-नाम पोर्टल ने अहम भूमिका निभाई है. इस पोर्टल को किसानों की बेहतरी के लिए 14 अप्रैल 2016 को लॉन्च किया गया था. आईये जानते हैं कि ये पोर्टल क्या है और कैसे काम करता है.
केंद्र सरकार द्वारा देश के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस उपलब्ध कराया गया है, जहां किसान अपनी फसल को अच्छे दामों पर ऑनलाइन बेच सकते हैं. ई-नाम का पूर्ण रूप राष्ट्रीय कृषि बाजार है. इस पोर्टल के माध्यम से किसानों, व्यापारियों और खरीदारों को एक मंच पर लाया गया है. ई-नाम पोर्टल पूरी तरह से डिजिटल पोर्टल है. इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी फसल ऑनलाइन बेच सकते हैं, इसके अलावा अपनी समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं.
बता दें कि ई-नाम पोर्टल के जरिए देश के सभी मंडलों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दिया गया है, जो बिचौलियों से मुक्त है. यहां किसान अपनी भविष्यवाणी दर्ज कराता है तो देश के कोने-कोने में बैठे कारोबारी किसानों की मंजूरी के बाद बोली लगाते हैं और फसल खरीदते हैं.
जैसा कि आप जानते हैं कि किसानों को अपनी फसल बेचने में समस्या होती है, फसल का उत्पादन तो हो जाता है लेकिन फसल बेचें कहां यह चिंता किसानों के मन में रहता है. हालांकि अभी तक किसानों की फसलें बिचौलियों को द्वारा खरीद कर बेची जाती थी. इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई नाम )पोर्टल को शुरू किया है किसान अपने कृषि उत्पादों को बेचने के लिए e-nam ऑनलाइन आवेदन पत्र भरकर खुद को विक्रेता के रूप में पंजीकृत कर सकेंगे और अपनी फसलों का उचित दाम प्राप्त कर सकेंगे. फसल को बेचने के बाद पैसे सीधे किसानो के बैंक अकॉउंट में ट्रांसफर किया जाएगा.
ई-नाम पोर्टल के माध्यम से दो राज्यों के बीच काम करना संभव हो गया है.
साल 2022 में सरकार द्वारा 200 मंडियों को ई-एनएएम में जोड़ा गया और अगले साल तक 215 और मंडियों को शामिल किया जाएगा.
इस पोर्टल के लॉन्च होने से किसानों को अब बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और किसान अपनी फसल सीधे मंडियों में भेज सकेंगे.
यह पोर्टल 14 अप्रैल 2016 को लॉन्च किया गया था. जिसके जरिए किसान अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में भेज सकते हैं.
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