बिहार में कोसी नदी, जिसे अक्सर "बिहार के अभिशाप" के रूप में जाना जाता है, अब उत्तर बिहार की कृषि भूमि के लिए वरदान साबित होगी. कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक परियोजना को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है, जिससे उत्तर बिहार के किसानों को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी. चुनावी वर्ष में इस परियोजना की स्वीकृति उत्तर बिहार के लोगों के लिए एक बड़ी सौगात है. इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-एआईबीपी) के तहत मंजूरी दी गई है.
इसमें अनुमानित लागत 6 हजार 282 करोड़ 32 लाख रुपये है, जिसमें बिहार को 3 हजार 652 करोड़ 56 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक परियोजना को केंद्र से मंजूरी दिलवाने के लिए काफी समय से प्रयासरत थे. कोसी-मेची लिंक परियोजना से बाढ़ के दौरान कोसी के अतिरिक्त पानी को लिंक के जरिए मेची नदी तक पहुंचाया जाएगा. इससे बाढ़ के प्रबंधन में काफी सहायता मिलेगी. इस परियोजना के तहत मौजूदा पूर्वी कोसी मुख्य नहर (ईकेएमसी) का 41.30 किलोमीटर तक पुनर्निर्माण और ईकेएमसी का विस्तार मेची नदी तक 117.50 किलोमीटर तक किया जाएगा. इससे अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, खगड़िया, मधेपुरा और कटिहार जिलों में 2 लाख 10 हजार 516 हेक्टेयर क्षेत्र में सालभर अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी. इससे पूर्वी कोसी मुख्य नहर के मौजूदा कमांड में आपूर्ति में कमी को बहाल किया जाएगा.
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कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक परियोजना के पूर्ण होने से मानसून अवधि के दौरान महानंदा कमांड में 2050 मिलियन क्यूबिक मीटर कोसी के जल का डायवर्जन किया जा सकेगा. कोसी-मेची अंतरराज्यीय संपर्क परियोजना में मौजूदा पूर्वी कोसी मुख्य नहर (ईकेएमसी) के पुनर्निर्माण के माध्यम से बिहार में स्थित महानंदा बेसिन में सिंचाई के विस्तार के लिए कोसी नदी के अधिशेष जल के एक हिस्से को मोड़ने और ईकेएमसी को आरडी 41.30 किमी पर इसके अंतिम छोर से आगे आरडी 117.50 किमी पर मेची नदी तक विस्तारित करने की परिकल्पना की गई है. ताकि बिहार से होकर बहने वाली कोसी और मेची नदियों को बिहार के भीतर एक साथ जोड़ा जा सके.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने बिहार की कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक परियोजना को जल शक्ति मंत्रालय की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना व त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-एआईबीपी) के अंतर्गत शामिल करने को मंजूरी मिली है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) वर्ष 2015-16 के दौरान शुरू की गई थी. जिसका उद्देश्य खेतों तक पानी की भौतिक पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना है. साथ ही, खेतों में जल उपयोग दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण पद्धतियों को लागू करना भी इसमें शामिल है.
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