
हरियाणा और पंजाब के बॉर्डर पर पिछले 1 साल से किसान अपनी मांगों को लेकर अनशन कर रहे हैं. इस बीच किसानों ने अपनी आंदोलन को ताकत देने और सरकार तक अपनी बात को पहुंचाने के लिए कई अलग-अलग पैंतरे भी अपनाए. इसी बीच किसान नेताओं ने अब आमरण अनशन पर बैठे जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन के समर्थन में और किसान आंदोलन को मजबूती देने के लिए अनोखा दांव चला है. दरअसल, किसानों ने इस बार पवित्र जल यात्रा पहल की शुरुआत की है. बता दें कि खनौरी बॉर्डर पर पिछले 71 दिनों से किसान नेता डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी है. इस बीच ये पहल किसानों में एक नई ऊर्जा लाएगी.
इस पानी की राजनीति का उद्देश्य ये है कि इससे देशभर के किसान इस आंदोलन को समर्थन दें. दरअसल, किसान नेताओं ने बताया कि जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 71 दिनों से सिर्फ जल ग्रहण कर के अपने शरीर के ऊपर कष्ट झेल रहे हैं, ताकि खेती-जमीन और किसानों की अगली पीढ़ी को बचाया जा सके. ऐसे में किसानों की भावना है कि उन्हीं खेतों का पवित्र जल जगजीत सिंह डल्लेवाल ग्रहण करें, जिन्हें बचाने के लिए वो सत्याग्रह कर रहे हैं. किसान नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ जल नहीं है बल्कि उन हजारों किसानों की भावना है जिन्हें यह महसूस होता है कि MSP गारंटी कानून बनवाने के लिए चल रहे किसान आंदोलन 2.0 में सहयोग करना जरूरी है.
किसान नेताओं ने किसानों से अपील की है कि वो अपने खेत से जल लेकर 4, 6, 8, 10 और 12 फरवरी में से किसी एक दिन खनौरी बॉर्डर पर पहुंचें और जल अर्पण कर आंदोलन को मजबूत करें. वहीं, इस आंदोलन में जान फूंकने वाले किसान नेता डल्लेवाल पिछले 71 दिनों से सिर्फ जल ग्रहण कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह आंदोलन किसानों के हक और सम्मान की लड़ाई है. बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में किसान आंदोलन 2.0 को 12 फरवरी 2025 को एक साल पूरे होने जा रहे हैं.
किसान आंदोलन 2.0 को सरकार लगभग खत्म करने वाली थी इसी बीच में आंदोलन को शांत पड़ता देख किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर 2024 को खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे तो मानो आंदोलन में एक नई उर्जा का संचार हो गया. वहीं, डल्लेवाल के अनशन को 50 दिन से अधिक का समय होने पर 18 जनवरी को केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और दोनों मोर्चों को बातचीत का न्योता दिया. सरकार के इस न्योते के तहत अब 14 फरवरी को चंडीगढ़ में किसानों और केंद्र के बीच एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी समेत 12 मांगों को लेकर चर्चा होगी.
बता दें कि 4 फरवरी को हरियाणा से नारनौंद, राजपुरा, माजरी, डिडवादी, सोहटी, फग्गू, धर्मपुरा, खैराती खेड़ा, दादू, तिलोकेवाला, बीसला, करनोली, खुम्बर, जंडवाला, आयलकी, छिनौली, मटिण्डू, गोपालपुर, नौल्था, माजरा, खुराना, रोजखेड़ा, जुल्हेड़ा, ढाणी छतरिया, ढाणी ठोबा, तमसपुरा, भरपूर, लक्कड़वाली, चमराडा, माढ़ा, मस्तगढ़, खरल, लोधर, फतेहपुरी, फुलां, अकांवली, सुंदरनगर हमजापुर सहित 50 से अधिक गांवों के खेतों के जल लेकर किसान मोर्चे पर पहुंचे.
इसी तरह 6, 8 और 10 फरवरी को हरियाणा के किसानों के बड़े जत्थे जल लेकर खनौरी मोर्चे पर पहुंचेंगे. किसान नेताओं ने सभी किसानों से अपील की है कि मोर्चे के 1 साल पूरा होने पर 11 फरवरी को रत्नपुरा, 12 फरवरी को खनौरी और 13 फरवरी को शम्भू मोर्चे पर आयोजित महापंचायतों में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचे.
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