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गांव वालों ने किया चुनाव का बहिष्कार, कलेक्टर के समझाने के बाद भी नहीं माने, ये है नाराजगी की वजह

गांव वालों ने किया चुनाव का बहिष्कार, कलेक्टर के समझाने के बाद भी नहीं माने, ये है नाराजगी की वजह

लगभग 1,600 मतदाताओं वाले एकानापुरम और नागापट्टू गांवों ने पहले ही चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. ग्रामीणों को समझाने के लिए कांचीपुरम कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और चुनाव पर्यवेक्षक ने हाल ही में यहां का दौरा किया, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली.

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तमिलनाडु में गांव वालों ने किया चुनाव का बहिष्कार. (सांकेतिक फोटो) तमिलनाडु में गांव वालों ने किया चुनाव का बहिष्कार. (सांकेतिक फोटो)

तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बनी हुई है. आम जनता के बीच भी चुनाव का उत्साह छाया हुआ है. इसी बीच खबर है कि कांचीपुरम के एकानापुरम गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. यहां के किसान सरकार और प्रशासन से खासा नाराज हैं. यहां के किसानों और गांव वालों ने मतदान का बहिष्कार किया है. गांव वालों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती है, तब तक वे चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे. 

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, परांदूर में एक एयरपोर्ट प्रस्तावित है. यह चेन्नई के बाद दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा. लेकिन किसानों का कहना है कि एयरपोर्ट बनने पर गांव नक्शे से गायब हो सकता है. यह गांव राज्य के अब तक के सबसे लंबे विरोध प्रदर्शनों में से एक का केंद्र रहा है. यहां पर किसानों ने लगभग 650 दिनों तक सरकार के फैसले का विरोध किया है. टीएनआईई ने एकानापुरम और कुछ अन्य पड़ोसी गांवों का दौरा किया, जिनकी उपजाऊ भूमि जल्द ही हवाई अड्डे के लिए अधिग्रहित की जाएगी. किसानों में द्रविड़ प्रमुखों के खिलाफ असंतोष पनप रहा है. उनका दावा है कि पार्टियां उनकी चिंताओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही हैं और यहां की अच्छी-खासी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नष्ट कर रही हैं.

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वोट डालने से इनकार

लगभग 1,600 मतदाताओं वाले एकानापुरम और नागापट्टू गांवों ने पहले ही चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. ग्रामीणों को समझाने के लिए कांचीपुरम कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और चुनाव पर्यवेक्षक ने हाल ही में यहां का दौरा किया, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. हालांकि, बुजुर्गों ने भी पोस्टल वोट डालने से इनकार कर दिया.

किसान ने कही ये बात

50 वर्षीय किसान के अलामेलु ने बताया कि मेरे पास एक घर, दो एकड़ खेत और कुछ दुधारू गायें हैं. मेरे घर में धान से भरा एक कमरा है, जो इस पूरे साल के लिए पर्याप्त है. हम प्रति एकड़ 2.5 टन धान की फसल लेते हैं, जो तंजावुर के किसानों को मिलने वाली धान से अधिक है. किसान ने कहा कि ये जमीन सोने की है और इसकी एक बोरी (80 किलो) अब 1500 रुपये में बिक रही है. हमें यह स्थिर जीवन क्यों छोड़ना चाहिए? हम सरकार को हमारी जमीन का अधिग्रहण करने की अनुमति देने के बजाय यहीं मरना पसंद करेंगे.

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गांव में अच्छी है सिंचाई व्यवस्था

खास बात यह है कि इस गांव में किसान बड़े स्तर पर धान की खेती करते हैं. आप इस गांव में जाएंगे, तो अभी भी खेतों में धान की लहलहाती फसलें दिख जाएंगी. दिलचस्प बात यह है कि यहां पर किसी भी किसान को खेती के लिए बोरवेल या पंप सेट का उपयोग करते नहीं देखा गया. किसान तालाब और झीलों से फसलों की सिंचाई करते हैं. इस भीषण गर्मी के बावजूद, गांव की मिट्टी में नमी है और झीलों में पानी भरा था. इससे साबित होता है कि गांव में भूजल स्तर भी अच्छा है.