लखपति दीदियां परिवार को गरीबी से बाहर निकाल रहीं हैं और वे समाज के लिए आदर्श बन रहीं. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को विदिशा में लखपति दीदियों से संवाद में यह बातें कहीं. उन्होंने कहा कि जो बहनें पहले ही लखपति बन चुकी हैं वो अब अन्य महिलाओं को लखपति बनाएंगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज दीदियों का टर्नओवर ही 20 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है, भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में दीदियों का बड़ा योगदान रहेगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लखपति दीदियों ने न केवल अपने परिवारों को गरीबी से बाहर निकाला है, बल्कि दीदियां समाज के लिए भी आदर्श बन रही हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पहले ही 1 करोड़ 11 लाख लखपति दीदियां बना ली हैं और अब हमारा लक्ष्य तीन करोड़ लखपति दीदियां बनाना है. उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में जल्द ही देशभर में तीन करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बनेंगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो बहनें पहले ही लखपति बन चुकी हैं, वो अब अन्य महिलाओं को लखपति बनाएंगी. लखपति दीदी का मतलब है कि बहनों की सालाना आय 1 लाख रुपए से ज्यादा हो. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज दीदियों का टर्नओवर ही 20 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है, भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में दीदियों का बड़ा योगदान रहेगा.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गांव का विकास, महिलाओं का कल्याण और किसानों का उत्थान सरकार का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि साथ ही हर गरीब के सिर पर छत हो, इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 3 करोड़ पक्के मकान बनाने का निर्णय लिया है. गांवों में 2 करोड़ और शहरों में एक करोड़ पक्के मकान और बनाए जाएंगे. यह अभियान लगातार जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि किसान कल्याण सरकार की पहली प्राथमिकता है.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि किसानों को यूरिया और डीएपी की कोई कमी ना हो. उन्होंने कहा कि किसान कल्याण के लिए छह प्राथमिकताएं रखी गई हैं. पहला उत्पादन बढ़ाना, दूसरा लागत घटाना, तीसरा फसलों का ठीक दाम, चौथा नुकसान की भरपाई, पांचवां फसलों का विविधिकरण और छठवां प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने हाल ही में फसलों के 109 नए बीज किसानों को समर्पित किए हैं. इन नई क्वॉलिटी के बीजों से उत्पादन की लागत कम होगी.
बाजरा का एक बीज जारी किया गया है, जिसकी फसल केवल 70 दिन में आ जाती है. धान का एक बीज जारी किया गया है, जिसमें 30 प्रतिशत कम पानी लगता है. हमारे वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं, और शोध को सीधे खेतों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान अपने खेत के छोटे हिस्से में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं क्योंकि हमें इस धरती को आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रखना है.
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