Farmers Protest: SKM ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराया, फसलों की MSP गारंटी पर नहीं बनी बात, 21-22 फरवरी को आंदोलन पर फैसला लेंगे

Farmers Protest: SKM ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराया, फसलों की MSP गारंटी पर नहीं बनी बात, 21-22 फरवरी को आंदोलन पर फैसला लेंगे

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसमें रविवार की बैठक में पांच फसलों पर पांच साल के लिए एमएसपी पर खरीद की बात कही गई थी. एसकेएम ने कहा है कि फसलों पर एमएसपी C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं है.

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Farmers Protest: SKM ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराया, फसलों की MSP गारंटी पर नहीं बनी बात, 21-22 फरवरी को आंदोलन पर फैसला लेंगेSKM ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराया, फसलों की MSP पर नहीं बनी बात

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसमें रविवार की बैठक में पांच फसलों पर पांच साल के लिए एमएसपी पर खरीद की बात कही गई थी. किसान संगठनों और सरकार के बीच रविवार की बैठक में किसानों को यह प्रस्ताव दिया गया था कि सरकार पांच साल के लिए पांच प्रमुख फसलों की खरीद एमएसपी पर करेगी. इसके बाद किसान संगठनों ने 21 फरवरी को 11 बजे तक आंदोलन रोकने की बात कही थी. लेकिन अब एसकेएम ने साफ कर दिया कि एमएसपी के गारंटी कानून से कम उसे कुछ भी नहीं चाहिए. इस तरह एसकेएम ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. एसकेएम ने कहा है कि 21 और 22 फरवरी को होने वाली एनसीसी और एसकेएम की आमसभा में स्थिति का जायजा लिया जाएगा और सभी मांगें पूरी होने तक संघर्ष को तेज करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना बनाई जाएगी. 

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) पंजाब में हरियाणा बॉर्डर पर 13 फरवरी से प्रदर्शन कर रहे किसानों का हिस्सा नहीं है. वर्तमान में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन में पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी मुख्य संगठन है. 18 फरवरी की बैठक में सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने की घोषणा पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की ओर से आना बाकी है. हालांकि, एसकेएम की ओर से केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने का प्रभाव पड़ सकता है. 3 कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 में हुए आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने लीड किया था. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) देश के किसानों का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है. 

किसानों की मांग घटाने की कोशिश है सरकार प्रस्ताव   

19 फरवरी की दोपहर में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की बैठक हुई, जिसके बाद एसकेएम ने वर्तमान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेताओं के साथ बीते दिन 18 फरवरी को सरकार के साथ बैठक के बाद 5 फसलों मक्का, कपास, अरहर, मसूर और उड़द पर एमएसपी गारंटी देने और फसल डायवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देने के लिए 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है. एसकेएम ने कहा कि यह प्रस्ताव गारंटी खरीद के साथ सभी फसलों के लिए एमएसपी पर C2+50% की मांग को कम करने के लिए है.  

फसलों पर एमएसपी C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं

एसकेएम ने घोषणा की कि गारंटी खरीद वाली सभी फसलों के लिए एमएसपी C2+50% से नीचे कुछ भी भारत के किसानों को स्वीकार्य नहीं है. अगर मोदी सरकार अपने वादे को लागू नहीं कर पा रही है तो प्रधानमंत्री ईमानदारी से जनता को बताएं. एसकेएम ने कहा कि केंद्र सरकार के मंत्री यह स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं कि उनकी ओर से प्रस्तावित एमएसपी A2+FL+50% पर आधारित है या C2+50% पर आधारित है. किसानों के साथ बैठक में कोई पारदर्शिता नहीं है जबकि 4 बार बैठक हो चुकी है. 

बाकी मांगों पर केंद्रीय मंत्रियों की चुप्पी पर सवाल उठाया  

एसकेएम ने केंद्रीय मंत्रियों से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि मोदी सरकार कर्ज माफी, बिजली का निजीकरण नहीं करने, व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना, 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये मासिक पेंशन, लखीमपुर हिंसा के आरोपी अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और मुकदमा चलाने की मांगों पर चुप क्यों है. 

किसानों पर हमले के लिए हरियाणा सरकार की निंदा की

एसकेएम ने राज्यों की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों और हरियाणा के भीतर किसान कार्यकर्ताओं पर हमले करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार की कड़ी निंदा की. किसानों पर रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया गया और लाठीचार्ज करने से तीन किसानों की आंखों की रोशनी चली गई.  एसकेएम ने कहा कि हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने उन किसानों और किसान नेताओं के वाहनों और मोटरसाइकिलों को क्षतिग्रस्त कर दिया है, जो बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों से मिलने गए थे. 

21-22 फरवरी को आंदोलन पर फैसला लेगी एसकेएम 

मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों और कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार को जनता के बीच उजागर करने के लिए एसकेएम ने पूरे भारत में बीजेपी और एनडीए के सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन, सार्वजनिक बैठकें, मशाल जुलूस आयोजित करने का आह्वान किया है. 21, 22 फरवरी को होने वाली एनसीसी और एसकेएम की आमसभा की बैठक में स्थिति का जायजा लिया जाएगा और सभी मांगें पूरी होने तक संघर्ष को तेज करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना बनाई जाएगी. 

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