..तो अब किसान आंदोलन की दिशा बदलने वाली है? किसानों की हुंकार से सरकार पर दबाव बढ़ा 

..तो अब किसान आंदोलन की दिशा बदलने वाली है? किसानों की हुंकार से सरकार पर दबाव बढ़ा 

किसान नेताओं ने अपनी मांगों पर समाधान होने तक आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. ऐसे में आंदोलन और लंबा जा सकता है. इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि, आंदोलन के चलते दिल्ली समेत कई राज्यों में कपड़ा, ज्वैलरी कारोबार को बड़ा नुकसान हुआ है. जबकि, 3 राज्यों की सीमाएं बंद होने से ट्रक ऑपरेटर्स और ट्रांसपोर्टर्स को केवल 13 दिनों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है. 

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..तो अब किसान आंदोलन की दिशा बदलने वाली है? किसानों की हुंकार से सरकार पर दबाव बढ़ा किसान 13 फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं.

फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून समेत कई मांगों को लेकर किसान 13 फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं. किसान नेताओं ने अपनी मांगों पर समाधान होने तक आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. किसानों ने दिल्ली कूच और ट्रेनों के चक्का जाम का आह्वान किया है. किसान संगठनों ने देशभर के किसानों और संगठनों से आंदोलन में जुड़ने की अपील की है. ऐसे में यह आंदोलन और लंबा जा सकता है. इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि, किसानों के आंदोलन के चलते दिल्ली समेत कई राज्यों में कपड़ा, ज्वैलरी कारोबार को बड़ा नुकसान हुआ है. जबकि, 3 राज्यों की सीमाएं बंद होने से ट्रक ऑपरेटर्स और ट्रांसपोर्टर्स को केवल 13 दिनों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है. 

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव और किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने सोमवार को कहा कि हम किसान यहीं खनौरी और शंभू सीमा रहेंगे. हम अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों के बिना आगे नहीं बढ़ेंगे. हमने दिल्ली की ओर मार्च करने का अपना फैसला नहीं बदला है, हम तब तक इंतजार करेंगे जब तक सरकार सड़कें फिर से नहीं खोल देती. हमने अन्य राज्यों के किसानों से 6 मार्च को रेलवे, बस या किसी अन्य वाहन का उपयोग करके दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए कहा है. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी इस बात को दोहराया है. 

युवा किसान शुभकरण सिंह की बीते दिन श्रद्धांजलि सभा  और भोज के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की बैठक में कहा गया कि चाहे आचार संहिता लगे या चुनाव हो, मांगों का ठोस समाधान होने तक आंदोलन जारी रहेगा. जबकि, 6 मार्च को दिल्ली कूच करने और 10 मार्च को ट्रेनों का चक्का जाम करने का आह्वान किया गया है. किसान नेताओं ने देशभर के अन्य किसानों और संगठनों से जुड़ने की अपील की है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि कई धड़ों में बंटे किसान संगठन 6 मार्च को एकजुट होकर दिल्ली की ओर कूच कर सकते हैं.

ट्रक ट्रांसपोर्ट को हर दिन 100 करोड़ का झटका लग रहा 

किसानों के आंदोलन को देखते हुए पंजाब-हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं को 13 फरवरी से सील किया गया है. इसके चलते माल परिवहन सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है. मोटर गुड्स एसोसिएशन (AIMGTA) के अध्यक्ष राजेन्द्र कपूर ने कहा कि मार्ग बाधित होने का असर ट्रक ऑपरेटर्स और ट्रांसपोर्टर्स को झेलना पड़ रहा है और 13 दिन में 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं, गंतव्य तक पहुंचने के लिए पहले की तुलना में अतिरिक्त ट्रैवल करने से 65 करोड़ रुपये का डीजल खर्च हो चुका है. 

कपड़ा और ज्वैलरी कारोबार को हर दिन कई करोड़ का नुकसान

किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली में ज्वैलरी और कपड़े की खरीदारी करने वाले ग्राहकों की संख्या में बड़ी गिरावट देखी गई है. दिल्ली में करीब 10 हजार ज्वैलरी प्रतिष्ठान हैं और सैकड़ों ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं. यहां के कूचा महाजनी, दरीबा कलां और करोलबाग जैसे सराफा बाजारों में भी कारोबार को चोट पहुंची है. जहां थोक और खुदरा में रोजाना करीब 500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. लेकिन, किसान आंदोलन से ये कारोबार रोजाना करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान उठाने को मजबूर है. वहीं, दिल्ली में ज्वैलरी कारोबार को करीब 30 से 40 फीसदी का झटका लगा है. जबकि, मौजूदा शादी के सीजन में दिल्ली के चांदनी चौक में कपड़ा बिक्री 75 फीसदी लुढ़क गई है. अनुमान है कि यहां पर शादी के सीजन में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है. लेकिन, आंदोलन के चलते कारोबार करीब 200 करोड़ रुपये घटकर 100 करोड़ रुपये से भी कम रह गया है. 

किसान आंदोलन के चलते कारोबार को हो रहे बड़े नुकसान और किसानों के मांगों के समाधान तक आरपार की लड़ाई के ऐलान ने कारोबारियों को चिंतित कर दिया है. आंदोलन के बड़ा रुख लेने के संकेत दिख रहे हैं, जिसने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. 

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