शनिवार को सात राज्यों की 13 सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे आ गए हैं. ये नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए दिल तोड़ने वाले थे. वहीं अब इन राज्यों में उपचुनावों के बाद उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं. सबकी नजरें यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों पर टिक गई हैं.लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद इन 10 सीटों की स्थिति में काफी बदलाव आया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाला एनडीए और सपा के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन उपचुनावों में एक-दूसरे से मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति बना रहा है और अपने विकल्पों पर विचार कर रहा है. वहीं खबरें हैं कि उपचुनावों से पहले ही बीजेपी के सहयोगी यूपी में उसकी टेंशन बढ़ा रहे हैं.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी के सहयोगी अब सीटों की डिमांड कर रहे हैं. इन 10 सीटों में चार सीटें बीजेपी के दो सहयोगी मांग रहे हैं. इसमें दो सीटों पर निषाद पार्टी और दो सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के लड़ने की मंशा है. निषाद पार्टी साल 2022 में जिन दो विधानसभा सीटों पर लड़ चुकी है उनमें अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट और मिर्जापुर की मंझवा विधानसभा सीट शामिल है. वहीं जिन दो सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल लड़ना चाहती है वो सीटें हैं मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट है.
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निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने इस बात को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है कि वो पिछली बार कटेहरी विधानसभा सीट और मझवां सीट पर लड़ चुके हैं. इस लिहाज से इन दोनो सीटों की मांग वो इस बार बीजेपी हाई कमान से करने वाले हैं. वहीं रालोद के प्रवक्ता अनिल दुबे का कहना है कि मीरापुर विधानसभा सीट उनके पास ही रही है और इसके अलावा उनके पार्टी के वर्चस्व वाली सीटों की मांग वो लोग करने को इच्छुक हैं. जिसमे खैर विधानसभा सीट आती है, अगर ये चारों सीटें गठबंधन के पास जाती हैं तो बीजेपी के पास सिर्फ 6 सीटें बचेंगीं.
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यूपी की जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें से फूलपुर, गाजियाबाद, खैर, कटेहरी , करहल, कुंदरकी, मिल्कीपुर, मीरापुर, कटेहरी और कानपुर नगर की सीसामऊ सीट शामिल हैं. इस समय विधानसभा में बीजेपी के अकेले 249 विधायक हैं जबकि सपा के 103 हैं. बीजेपी की की सहयोगी अपना दल सोनेलाल के 13, रालोद के आठ, निषाद पार्टी के पांच और सुभासपा के छह सदस्य हैं. वहीं, सपा की सहयोगी कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक हैं. ऐसे में बीजेपी गठबंधन के कुल 281 सदस्य हैं जबकि सपा गठबंधन के 105 सदस्य हैं.
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