उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने भी कमर कस ली है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस आगामी यूपी उपचुनाव में 10 सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. यूपी कांग्रेस ने 21 तारीख को लखनऊ में सभी जिला अध्यक्षों की बैठक बुलाई है, जिसमें सभी बातों को अंतिम रूप दिया जाएगा. संभावना है कि सपा 7 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि कांग्रेस को 3 सीटें मिल सकती हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ही काफी उत्साहित है और कार्यकर्ता भी उत्साह में हैं.
दरअसल, प्रदेश की करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मंझवा और सीसामऊ पर उपचुनाव होना है. इन विधानसभा सीटों में से 5 सीटें समाजवादी पार्टी के पास हैं तो वहीं RLD-निषाद पार्टी की एक-एक सीटें हैं, जबकि BJP के पास 3 सीटें हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने BJP को चौंकाया उसे देखते हुए ये उपचुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए अग्निपरीक्षा माने जा रहे हैं. क्योंकि इस चुनाव में बेहतर करने का दबाव योगी आदित्यनाथ के ऊपर है. ताकि 2027 में होने वाले चुनावों के लिए कार्यकर्ताओं के अंदर जोश भरा जा सकें.
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उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव राज्य और देश दोनों की राजनीति तय करने वाले साबित हो सकते हैं, क्योंकि ये उत्तर प्रदेश ही था जिसने साल 2014 और 2019 में BJP की बहुमत वाली सरकार को मजबूती दी. लेकिन 2024 के चुनावों में यूपी में BJP की कमजोरी ने उसे बहुमत से दूर कर दिया. ऐसे में BJP के पास लोकसभा में बनी धारणा को तोड़कर इन उपचुनावों के माध्यम से कार्यकर्ताओं में जोश भरने का मौका है. हालांकि इन सीटों के समीकरण BJP की चिंता बढ़ाने के लिए काफी हैं.
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यह उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस चुनाव को 2027 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है. बीजेपी इन सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करने का दबाव है, ताकि लोकसभा चुनाव के घाव को भरने में मदद मिल सके. सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बीजेपी से बड़ी तैयारी की है. 10 सीट पर जीत हासिल करने के लिए 30 मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसमें 14 कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं. इस चुनाव में कांग्रेस और सपा इसलिए भी पूरे जोश में हैं क्योंकि जिन 10 सीटों में चुनाव होना है उनमें से पांच सीटों में लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को पीछे कर दिया है. (राहुल गौतम का इनपुट)
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