गेहूं की खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है. चावल के बाद सबसे अधिक देश में गेहूं की खेती की जाती है. पर गेहूं की कटाई के बाद इसकी पराली का निपटान करना एक बड़ी समस्या बन जाती है. जिन किसानों ने समय पर गेहूं की बुवाई की है, उन किसानों ने गेहूं की कटाई पूरी कर ली है. लगभग 80 प्रतिशत गेहूं की कटाई पूरी हो चुकी है. अब किसान खेत खाली करने के लिए पराली में आग लगा रहे हैं. पराली में आग लगाने के कारण जहां एक ओर पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. वहीं जिस खेत में इसे जलाया जा रहा है वहां पर मिट्टी गर्म हो रही है और इसकी उर्रवरकता को नुकसान पहुंच रहा है.
हालांकि कृषि वैज्ञानिकों ने इस पराली की समस्या का समाधान निकाल लिया है. उन्होंने शोध करके ऐसा तरीका निकाला है कि इससे पराली का प्रबंधन बेहतरीन तरीके से किया जा सकता है. इससे प्रदूषण भी नहीं होगा और मिट्टी की उर्रवरकता भी कम नहीं होगी. हालांकि यह तरीका अभी तक सभी किसानों के पास नहीं पहुंचा है. इसे सभी तक पहुंचाने की जरूरत है तभी पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है. गौरतलब है कि फसलों के अवशेष को खेत में जलाने से खरपतवार के साथ साथ वो कीट भी नष्ट हो जाते हैं जो किसान के लिए लाभदायक होते हैं.
ये भी पढेंः Makhana: सेहत से भरपूर है मखाना, घर में ऐसे बनाएं बेबी फूड्स या दलिया
खेत में पराली या फसल के अवशेष को जलाने से मिट्टी में पाए जाने वाले विभिन्न पोषक तत्व जैसे कार्बन, नाइट्रोजन और मिट्टी के कार्बनिक कंटेट को नुकसान होता है. पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है. जानकार बताते हैं कि एक टन पराली जलाने से वातावरण में 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. इसके कारण आसपास में रहने वाले लोगों को सांस लेने में समस्या होती है.साथ ही आंख, नाक और गले में परेशानी होती है जबकि पराली को जलाने के बजाय इसका इस्तेमाल पशुओं के के चारे के तौर पर किया जाता है.
ये भी पढ़ेंः चूहे-छछूंदर से फैलता है लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस रोग, बचाव के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
पूसा इंस्टीट्यूट के मुताबिक बायो डिकंपोजर 4 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डिकंपोजर घोल बनाया जा सकता है. 25 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव ढाई एकड़ में किया जा सकता है. ये पराली को कुछ ही दिनों में ही सड़ाकर खाद बना सकता है. इसके लिए गेहूं की कटाई के बाद तुरंत पराली पर इसका छिड़काव किया जाना चाहिए. छिड़काव करने के बाद पराली को जल्द से जल्द मिट्टी में मिलाना या जुताई करना बेहद जरूरी है. एक हेक्टेयर जमीन ने 60 क्विंटल भूसा प्राप्त होता है. इस भूसे को जमीन में ही मिलाकर आने वाली फसल की खाद बतौर उपयोग लिया जा सकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today