मध्य प्रदेश में 'मामा' के नाम से लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी मोदी सरकार 3.0 में जगह दी गई है और वो केंद्र में मंत्री बन गए हैं. उन्होंने राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में पद और गोपनीयता की शपथ ली है. साल 1990 में पहली बार बुधनी से चुनाव जीतकर विधायक बने शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं. उन्होंने नब्बे के दशक में अखिल भारतीय केशरिया वाहिनी के संयोजक के रूप में अपने राजनीतिक करियर का आगाज किया था.
इसके बाद शिवराज सिंह चौहान पहली बार 1990 में बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. इसके अगले ही साल 1991 में वो 10वीं लोकसभा चुनाव में विदिशा से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद भी बन गए थे. 1996 में, वह 11वीं लोकसभा चुनाव में भी सांसद बने और मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने 1996 से 1997 तक मध्य प्रदेश में पार्टी महासचिव के पद पर रहे.
1998 में फिर से, उन्हें लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और शहरी और ग्रामीण विकास मंत्रालय में उप-समिति के सदस्य के रूप में काम किया. 13वीं लोकसभा चुनाव में वो फिर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. वहीं उन्होंने 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में भी काम किया.
दिसंबर 2003 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा ने मध्य प्रदेश में जीत हासिल की उस समय, शिवराज सिंह राघौगढ़ से मौजूदा मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए. इसके बाद वो 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य बने और 2004 में पांचवीं बार चुनाव जीतकर फिर से 14 वीं लोकसभा में सांसद बन गए.
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हालांकि इसके अगले साल ही 2005 में उनकी किस्मत चमक गई और बीजेपी की तरफ से उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुन लिया गया. इसके बाद साल 2006 में उन्होंने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा, और अपनी पुरानी सीट पर 36,000 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीत गए. 2008 में, चौहान ने 41,000 से अधिक वोटों से अपनी बुधनी सीट बरकरार रखी और इसके साथ ही, राज्य में भाजपा को लगातार दूसरी बार जीत दिलाई. 12 दिसंबर 2008 को उन्होंने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली. 8 दिसंबर 2013 को चौहान ने फिर से विधानसभा चुनाव जीता और उन्हें तीसरी बार सीएम पद के लिए चुना गया.
12 दिसंबर 2018 को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने में विफल रहने के बाद, चौहान ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद एक बार फिर 23 मार्च 2020 को उन्होंने चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद भी शिवराज सिंह को राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और केंद्र ने मोहन यादव को मौका दिया.
उसी समय से अटकलें लगने लगी थी कि केंद्रीय नेतृत्व अब शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली लाना चाहता है. इसके बाद इस लोकसभा चुनाव में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा से चुनाव लड़ा और 8,17,429 वोटों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की.
अब शिवराज सिंह चौहान के शुरुआती जीवन की बात करें तो उनका जन्म सीहोर जिले के जैत गांव में प्रेम सिंह चौहान और सुंदर बाई चौहान के घर हुआ था. शिवराज किसान परिवार से आते हैं और किरार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
शिवराज सिंह ने अपनी शिक्षा बरकतुल्लाह भोपाल से पूरी की है और उन्होंने एम.ए. (दर्शनशास्त्र) में गोल्ड मेडल भी हासिल किया था. शिवराज सिंह की पत्नी का नाम साधना सिंह चौहान है और उनके दो बच्चे हैं.
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