Global Warming : इस साल बारिश के मौसम में भी तपिश से पीछा नहीं छुड़ा पाए एक तिहाई भारतीय

Global Warming : इस साल बारिश के मौसम में भी तपिश से पीछा नहीं छुड़ा पाए एक तिहाई भारतीय

जलवायु परिवर्तन के कारण Global Warming का संकट साल दर साल पूरी दुनिया में गहराता जा रहा है. अपनी विशिष्ट Geographical Condition के कारण Indian Subcontinent में यह समस्या ज्यादा गंभीर हो गई है. भारत में इस साल भीषण गर्मी के बाद जून से अगस्त के बीच बारिश के मौसम में भी एक तिहाई आबादी को गर्मी का कहर झेलना पड़ा है.

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Global Warming : इस साल बारिश के मौसम में भी तपिश से पीछा नहीं छुड़ा पाए एक तिहाई भारतीयजलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का मौसम भी भारतीयों को नहीं दे पाया गर्मी से राहत (सांकेतिक फोटो)

भारत, अपनी भौगोलिक स्थ‍िति के कारण गर्म जलवायु वाला देश है. भारत सहित दुनिया के सभी देशों में Climate Change के कारण Extreme Weather Condition का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में भारत का मौसम लगातार गर्म होता जा रहा है. हालांकि, भारत में सर्दी और बारिश का मौसम सिकुड़ जरूर रहा है, लेकिन कम समय में ही अधिक बारिश होना और कड़ाके की ठंड पड़ने से भी खेती किसानी बुरी तरह प्रभावित हो रही है. आम तौर पर गर्मी के बाद बारिश के मौसम में तापमान की गिरावट गर्मी से राहत देती है. वहीं, इस साल झुलसा देने वाली गर्मी के बाद जून से अगस्त के दौरान Rainy Season में भी भारतीयों को गर्मी से राहत नहीं मिली. अमेरिकी शोध संस्था Climate Central की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के भारत में प्रभाव को लेकर उजागर हुए चौंकाने वाले तथ्यों में यह भी बताया गया है कि इस साल बीते 50 सालों में यह दूसरा मौका था, जब माॅनसून के दौरान ज्यादा गर्मी रही.

दक्षिण एशिया में भारत रहा सर्वाध‍िक गर्म

भारत में गर्मी के मौसम की अवधि लगातार बढ़ रही है. इस लिहाज से अगर साल 2024 की बात की जाए, तो मौजूदा मॉनसून सीजन में जून से अगस्त के 3 महीनों का तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया गया. क्लाइमेट सेंट्रल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बीते 3 महीने, पिछले सालों की तुलना में ज्यादा गर्म रहे.

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वहीं, माॅनसून के दौरान भारत में 60 दिनों तक गर्मी का ज्यादा असर हुआ. इसकी वजह जलवायु परिवर्तन जनित Extreme Weather Condition थी. इन्हीं सब कारणों से माॅनसून के दौरान South Asia में भारत, जलवायु परिवर्तन की वजह से सर्वाधिक गर्मी वाला देश बन गया. इस दौरान भारत में 42.6 करोड़ लोगों (एक तिहाई आबादी) ने लगभग 1 सप्ताह तक भीषण गर्मी का सामना किया. यह पिछले 30 सालों के तापमान की तुलना में सामान्य से बहुत अधिक गर्म था.

इन शहरों में दिखा असर

रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि बढ़ती गर्मी, इंसान सहित समूचे जीव जगत के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. भारत में ठाणे, मुंबई, तिरुवनंतपुरम, कवरत्ती, वसई-विरार और पोर्ट ब्लेयर जैसे शहरों में मॉनसून के दौरान लगभग 70 दिनों तक गर्मी का असर कुछ ज्यादा ही देखा गया. इन शहरों में तापमान की अधिकता के पीछे जलवायु परिवर्तन का असर मुख्य कारण रहा.

रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण मुंबई में 54 दिन ऐसे रहे, जब तापमान ज्यादा दर्ज किया गया. वहीं, कानपुर और दिल्ली में भी तापमान की अधिकता, स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गई. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण Extreme Temperature की आशंका चार गुना बढ़ गई है.

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13 अगस्त था सर्वाधिक गर्म दिन

जलवायु परिवर्तन के वैश्विक असर की बात की जाए तो क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट के मुताबिक जून से अगस्त के दौरान दुनिया के हर चौथे इंसान ने कम से कम 30 दिनों तक अत्यधिक गर्मी का सामना किया. रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया के लिए 13 अगस्त सबसे ज्यादा गर्म दिन साबित हुआ. इस दिन 400 करोड़ लोगों को असामान्य रूप से ज्यादा तपिश झेलनी पड़ी.

अनुमान तो यह भी व्यक्त किया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसे चरम तापमान की आशंका पहले से 3 गुना बढ़ गई है. रिपोर्ट के अनुसार 72 देशों में 50 सालों के दौरान, जून से अगस्त की अवधि सर्वाधिक गर्मी देने वाली रही. इतना ही नहीं, जलवायु परिवर्तन के चलते अब इन तीन महीनों में कम से कम 5 दिन Heat Wave की आशंका 21 गुना तक बढ़ गई है.

रिपोर्ट में इस स्थिति के लिए कुदरत को नुकसान पहुंचाने वाली Human Activities को जिम्मेदार ठहराया गया है. इंसानी गतिविधियों से हो रहे Carbon Emission की वजह से Global Warming बढ़ रही है. इससे वैश्विक स्तर पर गर्मी की अवधि औसतन 17 दिनों के लिए बढ़ गई है. यह सेहत के लिए बहुत जोखिम भरा हो गया है.

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