पंजाब और हरियाणा में किसान भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं का भारी विरोध कर रहे हैं. यह विरोध उन नेताओं का अधिक है जो मौजूदा लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं. हरियाणा की तुलना में पंजाब में ऐसी घटनाएं अधिक हैं. हर दिन किसी न किसी उम्मीदवार के विरोध की खबरें आती हैं. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की पत्नी परनीत कौर का विरोध भी शामिल है. वे पटियाला से चुनाव मैदान में हैं. इसी तरह फरीदकोट से हंसराज हंस के विरोध की कई खबरें हैं. अब बीजेपी ने किसानों से मेल-मिलाप का रास्ता ढूंढ लिया है और इसमें उनकी मदद करेंगे मंडियों के आढ़तिये.
'दि ट्रिब्यून' की खबर कुछ यूं है कि बीजेपी अब किसान-आढ़तिया के संबंधों का अच्छा फायदा उठा सकती है. बीजेपी को लगता है कि उनके इस काम में आढ़तिये बड़ी मदद कर सकते हैं और किसानों से तल्खी खत्म करा सकते हैं. खबर की मानें तो आढ़तिये या एजेंटों का संगठन इस काम के होमवर्क में लग भी गया है. मंडियों के रीजनल कमीशन एजेंट आगे के एजेंडा पर काम कर रहे हैं जिनकी प्लानिंग लोकल बीजेपी उम्मीदवारों और किसानों में एका कराना है. यह काम एक जून से पहले होना है क्योंकि उसी दिन यहां वोटिंग है.
पंजाब में राज्य स्तर पर आढ़तियों के कई बड़े-बड़े संगठन हैं जिसमें कई धनी कमीशन एजेंट हैं. इन एजेंटों ने बीजेपी को एक शर्त पर समर्थन देने की बात कही है. एजेंटों का कहना है कि उनकी वर्षों से कई मांगें लंबित हैं जिन पर बीजेपी को गौर करना होगा. इस बारे में पंजाब के बीजेपी नेता कुछ बड़ा ऐलान नहीं कर सकते क्योंकि अभी आचार संहिता का नियम लागू है. खबर के मुताबिक, राज्य के बीजेपी नेताओं ने आढ़तियों के संगठन नेताओं की मुलाकात बीजेपी के बड़े नेताओं से कराई. लेकिन इसका रिजल्ट क्या निकला, अभी इसकी जानकारी नहीं है.
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आढ़ती यूनियन अहमदगढ़ के अध्यक्ष सुरिंदर कुराडछप्पा ने माना है कि यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी पंजाब पारभारी प्रभारी विजय रूपानी के नेतृत्व में बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात की और बड़े हित में कमीशन एजेंटों और किसानों के मुद्दों पर चर्चा की.
इस मीटिंग के बारे में कुराडछप्पा ने कहा, “इसमें कुछ भी असामान्य या अनैतिक नहीं है अगर बीजेपी नेता हमसे किसानों की समस्याओं के समाधान की मांग करते हैं जो इस राज्य और देश की अर्थव्यवस्था की नींव हैं. जाखड़ और रूपानी समेत आढ़तियों और बीजेपी नेताओं के बीच हुई बैठक में मैं भी मौजूद था, लेकिन यह बेनतीजा साबित हुई क्योंकि बीजेपी नेताओं ने आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए कोई भी घोषणा करने से इनकार कर दिया". आढ़तियों की प्रमुख मांगों में 2.5 प्रतिशत दामी के पुराने प्रतिशत को फिर से शुरू करना, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर यानी कि डीबीटी को वैकल्पिक बनाना और मजदूरों को सीधे लेबर चार्ज का पेमेंट करना शामिल है.
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