kisan tak summit 2025: 'किसान तक' लखनऊ में आलू अधिवेशन आयोजित कर रहा है. इस कार्यक्रम को पूरी तरह से आलू पर आधारित रखा गया है क्योंकि 30 मई को विश्व आलू दिवस भी है. इस खास दिवस पर 'किसान तक' के आलू अधिवेशन में खेती-किसानी के दिग्गज शामिल होंगे. इसमें किसान से लेकर कृषि अधिकारी और कृषि विशेषज्ञ तक शिरकत करेंगे और अपनी जानकारी साझा करेंगे. इस प्रोग्राम में आलू के सरताज किसानों को सम्मानित भी किया जाएगा.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की विश्वप्रसिद्ध शाही लीची ने एक नया इतिहास रचते हुए पहली बार दुबई के बाजारों की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. गुरुवार को जिले की पहली खेप को कोल्ड चेन ट्रक के माध्यम से लखनऊ एयरपोर्ट के लिए रवाना किया गया, जहां से यह खेप हवाई मार्ग से दुबई भेजी जाएगी. इस ऐतिहासिक मौके पर जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन स्वयं उपस्थित रहे और हरी झंडी दिखाकर इस पहल का शुभारंभ किया.
डीएम सुब्रत कुमार सेन ने आजतक से बातचीत में कहा, “यह पहल मुजफ्फरपुर के किसानों के लिए एक नए युग की शुरुआत है. इससे न केवल हमारी शाही लीची को अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलेगा, बल्कि उत्पादकों को बेहतर मूल्य भी प्राप्त होगा. कोल्ड चेन तकनीक के माध्यम से अब लीची सीधे बाजार तक सुरक्षित और ताजगी के साथ पहुंचेगी, जिससे बर्बादी रुकेगी और निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में अभी बाघों की दहशत थमी भी नहीं है तो वही जंगली हाथियों का आतंक शुरू हो गया है, जिले के सिंदेवाही तहसील के गांवों में जंगली हाथियों ने दहशत मचाई है, ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है, किस कदर जंगली हाथी गांव में घूम रहे है इसका ग्रामीणों ने वीडियो बनाया है, लोगों के पीछे जंगली हाथी उत्पात मचाते नजर आ रहे हैं.
ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए गढ़चिरोली में दाखिल हुए जंगली हाथियों का दल एक बार फिर बुधवार को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के सावली वनपरिक्षेत्र में देखा गया. बुधवार रात के समय वैनगंगा नदी पार करते हुए ये हाथी सावली वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गावों. गेवर, डोंगरगांव, निफंद्रा और मेहा के जंगलों से होते हुए दाखिल हुए.
पांचवे सेशन में आलू के सरताज प्रतियोगिता के लिए सवाल पूछा गया कि इरान और बहरीन में बड़े साइज के आलू का निर्यात नहीं होता है? इसमें 40 लोगों ने अटेम्प्ट किया जिसमें 24 लोगों ने सही जवाब दिया और 16 लोगों ने गलत जवाब दिया. इसमें पहला पुरस्कार विनय नगरकोटी, सिधार्थ सहगल और तीसरा जितेंद्र कुमार मौर्या को दिया गया.
अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. https://www.youtube.com/watch?v=iL8S2LFBfMI
किसान सत्येंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमें आलू ने ऐसा मुकाम दिया है कि हम बड़े-बड़े के साथ फाइट कर रहे हैं. पहले हमारे यहां शादी में पूछा जाता था कि आलू की कितनी खेती करते हो. यूपी में आलू को सबसे ज्यादा नुकसान पुहंचाया है झुलसा रोग ने. यूपी की खेती को बढ़ाने में सीपीआरआई का बहुत बड़ा रोल है. सीपीआरआई ने आलू की खेती और किसानों को बचा लिया. आलू की सफलता के पीछे सीपीआरआई का ही रोल है. आलू के आला महारथी सेशन में किसान नितिन चौधरी ने कहा कि अभी हाल में तेहरान और बरहीन को आलू की खेप भेजी है. इसके पीछे भी सीपीआरआई की भूमिका है. उन्होंने कहा कि वे आगे भी आलू का एक्सपोर्ट करने वाले हैं और इस सबके पीछे सीपीआरआई की मदद मिल रही है. विदेशों में हमारे आलू की बहुत डिमांड है, वहां से हर हफ्ते कंटेनर की मांग होती है. आने वाले समय में एआई जैसी तकनीक का भी इस्तेमाल होगा जिससे फसलों के रोग आदि के बारे में पहले ही पता चल जाएगा.
आलू के आला महारथी सेशन में मंच पर कई किसानों ने शिरकत की. इसमें देश के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया और अपनी बात रखी. किसान भंवरपाल ने कहा, यूपीएससी की तैयारी करने इलाहाबाद गए थे, लेकिन खेती में भी रुचि थी. बाद में पढ़ाई छोड़कर आलू की खेती में लग गए. मेरा कहना है कि अगर आप प्रतिबद्ध हैं तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है. खेती के साथ भी यही बात है. किसान पुष्पेंद्र जैन ने कहा, बीएससी करने के बाद खेती में उतरा. उस समय बीज को कोई नहीं लेता था. खेती में अगर समय को देखते हुए, हरी खाद, मिट्टी की गुणवत्ता आदि का ध्यान रखते हुए करें तो कभी असफलता नहीं मिलती. खेती कभी घाटे का सौदा नहीं होती, वह घाटे में तभी जाती है जब कोई लापरवाही होती है. हमारे क्षेत्र में बीज की बहुत कमी है, कुफरी बहार की उपलब्धता बढ़ाएं ताकि यूपी का किसान संतुष्ट हो सके.
चौथे सेशन में आलू के सरताज प्रतियोगिता के लिए सवाल पूछा गया कि यूपी सरकार बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज को हतोत्साहित कर रही है. इसमें 52 लोगों ने अटेम्प्ट किया जिसमें 33 लोगों ने सही जवाब दिया और 19 लोगों ने गलत जवाब दिया. इसमें पहला पुरस्कार प्रमोद, दूसरा अभिनीत जैन और तीसरा नितिन चौधरी को दिया गया.
अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. https://www.youtube.com/watch?v=iL8S2LFBfMI
कानपुर के किसान अभिनव शर्मा ने खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाने के बारे में पूछा. इस बारे में राजीव वर्मा ने कहा कि इस तरह की यूनिट लगाने के लिए 35 परसेंट सब्सिडी मिलती है और यह राशि अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक है. किसान इस योजना का लाभ उठा कर खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगा सकते हैं. इसमें दो किस्तों में सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है.
राजीव वर्मा ने कहा कि हम किसानों को आलू पर जैविक खाद छिड़कने की सलाह देते हैं. इस पर केमिकल छिड़कने का सुझाव नहीं देते क्योंकि उसका पेस्ट हमारे अंदर भी जाता है. किसानों को जैविक खाद अपनाने के लिए यूपी सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है. सरकार कोशिश करती है कि उत्पादन से लेकर बिक्री तक किसानों को मदद की जाए. आलू के रेट गिरने पर सरकार हस्तक्षेप योजना के तहत किसानों से खरीदारी करती है.
देश में कुछ किसान काला आलू की खेती कर रहे हैं जो अंदर से भी काला है. इसके बारे में सीपीआरआई के संजय रावल ने कहा कि सीपीआरआई ने इसका बीज अभी बाहर नहीं भेजा है. इस पर काम चल रहा है, लेकिन कुछ किसान विदेश से इसका महंगा बीज मंगा कर खेती कर रहे हैं. सामान्य तौर पर इसकी खेती नहीं हो रही. कुफरी नीलकंठ किस्म पर्पल कलर का आलू है जिसका बीज किसान अक्टूबर से सीपीआरआई से ले सकते हैं.
अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. https://www.youtube.com/watch?v=iL8S2LFBfMI
सीपीआरआई के संजय रावल ने भी आलू की फसल के लिए ड्रिप सिंचाई पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे आलू की फसल में क्लॉगिंग हट जाती है, पानी की बचत होती है और आलू का उत्पादन बढ़ता है. मिट्टी के बिना एरोपोनिक्स तकनीक से भी खेती कर सकते हैं. यूपी में भी इसका सेंटर लगा रहे हैं, लेकिन यह बहुत ही महंगी और स्पेशलाइज्ड तकनीक है. यह तकनीक सामान्य या खुले खेत में काम नहीं करेगी क्योंकि इसके लिए पॉलीहाउस अपनाना होता है.
पूछो, पूछो, जानो, समझो! आलू के सवाल? हमारे पास हैं जवाब सेशन में कन्नौज के किसान दिग्विजय कटियार ने पूछा कि यूपी सरकार केवल यूनिट कोल्ड स्टोरेज पर ही क्यों दिया जाता है, बंकर सिस्टम पर क्यों नहीं मिलता. इसके जवाब में राजीव कुमार वर्मा, जॉइंट डायरेक्टर, बागवानी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मल्टीचैंबर कोल्ड स्टोरेज बनाने का है ताकि उसमें अलग-अलग उत्पाद रख सकें ताकि अलग-अलग चैंबर में अलग-अलग प्रोडक्ट रखें जाएं. सरकार बिल्कुल नहीं चाहती कि किसान बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज बनाएं. बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज उद्योगपति बनाते हैं तो उन्हें क्यों छूट दी जाती है. सरकार आम आदमी को कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए छूट देती है. सरकार का उद्देश्य नई चीजें बनाने पर है. सरकार पहले बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज पर सब्सिडी देती थी, लेकिन अब नए कोल्ड स्टोरेज पर सब्सिडी दे रही है. किसान बनाएं और लाभ उठाएं.
गोरखपुर के एक किसान ने पूछा कि पूर्वी यूपी में पाला की मार पड़ती है जिससे आलू नहीं लगा पाते हैं. उत्पादन घट जाता है. इसके जवाब में डॉ कौशल कुमार नीरज ने कहा कि अगर खेत में ड्रिप सिंचाई का उपाय अपनाएं तो पाले से बच सकते हैं. केमिकल से भी बचा सकते हैं, लेकिन उसकी जरूरत नहीं है. सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग करें तो बचत भी होगी और उत्पादन भी बढ़ेगी. सूक्ष्म सिंचाई अपनाएं तो आलू का उत्पादन कर सकते हैं, सरकार इस पर सब्सिडी भी दे रही है.
क्वारंटाइन पेस्ट आलू के निर्यात के लिए अच्छा होता है? आलू के सरताज प्रतियोगिता में यह सवाल पूछा गया जिसका जवाब किसानों को देना था. जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें इसका जवाब देने के लिए कहा गया. इस सवाल का जवाब 'नहीं' है और कुछ किसानों ने इसका सही जवाब दिया. इस सवाल को 70 लोगों ने अटेम्प्ट किया जिसमें 28 लोगों ने सही जवाब दिया और 42 लोगों ने गलत जवाब दिया. इस सवाल के विजेता है हिमांशु दीक्षित जिन्हें प्रथम पुरस्कार मिला है. दूसरा पुरस्कार निकेश सिंह को और तीसरा अभिषेक कटियार को मिला. इस सत्र के ये तीन विजेता हैं.
किसान राघवेंद्र सिंह अवधूत ने कहा, केवल आलू की खेती से काम नहीं चलेगा. हमें क्लस्टर बनाकर आगे बढ़ना होगा. तभी देश का किसान समृ्ध और प्रबल होगा. रायबरेली में एफपीओ चलाने वाले और किसान रामगोपाल तिवारी ने कहा कि हम अपने आलू को निरोग बनाएंगे तभी उत्पादन अच्छा होगा. सरकार हमें हर सुविधाएं दे रही है जिसका फायदा उठाना चाहिए. सही पानी, सही बीज और खाद का इस्तेमाल करें तो अच्छा उत्पादन मिलेगा. पानी के सही उपयोग के लिए नई तकनीक अपनानी चाहिए. इसमें ड्रिप और स्प्रिंकलर का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे आलू का अच्छा कंद बनता है. आलू पर चित्ती भी नहीं बनती. ड्रिप से दवा डालने में भी मदद मिलती है. हमें आलू में सहफसली खेती करनी चाहिए. आलू की अच्छी ग्रोथ 30-35 दिनों तक होती है उसके बाद कंदों को बढ़ाना होता है.
किसान कमल किशोर ने कहा कि पिताजी के रहने पर बिजनेस करते थे, बाद में उनके नहीं रहने पर खेती से जुड़ गए. पिताजी जितना आलू उगाते थे, उससे ज्यादा हम उत्पादन ले रहे हैं. इसके लिए कृषि विज्ञान विज्ञान केंद्र से जुड़े जहां से मदद मिली. कुफरी बहार किस्म से अच्छा उत्पादन मिला. इसमें रोग को लेकर थोड़ा सावधान रहना होता है, अगर कार्बेंडाजिम पहले ही छिड़क दें तो कोई नुकसान नहीं होता. उसी आलू के दम पर चार बेटे बेटियों को मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे हैं.
अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. https://www.youtube.com/watch?v=iL8S2LFBfMI
अयोध्या की महिला किसान और ड्रोन दीदी सबीना ने कहा कि फसल चक्र अपना कर ही अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. सबीना ने कहा, तीन साल से आलू की खेती करती हूं. जिले में कृषि विज्ञान केंद्र में गई जहां सीखने का मौका मिला. वहां बताया गया कि केवीके में आइए और नई तकनीक सीखिए. आलू की खेती के बारे में केवीके से जानकारी मिली. इस साल मैंने कुफरी नीलकंठ लगाया था जिसे प्राकृतिक तरीके से उगाया गया था. इसका उत्पादन भले ही कम हुआ है, लेकिन उसमें कोई पेस्टिसाइड नहीं डाला है. ड्रोन के बारे में उन्होंने कहा कि 300 एकड़ में अभी तक ड्रोन से छिड़काव कर चुकी हूं.
आगरा पोटैटो सीड लिमिटेड के चेयरमैन पुष्पेंद्र जैन ने कहो किसान सेशन में कहा, उत्पादन अच्छा लेने के लिए मिट्टी की सेहत जरूर चेक करें. इसके लिए मिट्टी के सूक्ष्म तत्वों की जांच कराएं. सूक्ष्म तत्व हरी खाद से मिलेंगे. अगर सूक्ष्म तत्व कम हैं तो हरी खाद जरूर डालें. फसल की बीमारी कम करने के लिए फसल चक्र अपनाएं. दवाएं भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. https://www.youtube.com/watch?v=iL8S2LFBfMI
अधिक उत्पादन पाने और कमाई बढ़ाने के उपाय के बारे में रामशरण वर्मा ने कहा कि हम समय पर आलू की खेती करनी होगी. हमें फसल चक्र अपनाना है, विविधीकरण करना है. हमें बाजार की मांग को ध्यान में रखना है. गोबर की खाद खेत में डालनी है. हरी खाद डालें, प्रकृति के अनुरूप खेती करें तो हमारी लागत कम होगी जिससे हमारी कमाई बढ़ेगी.
बबीता चौधरी ने कहा कि सीपीआरआई ने कुफरी जमुनिया किस्म विकसित की है जो 90 दिनों में तैयार होती है. यह अंदर और बाहर दोनों ओर से पर्पल कलर का है. चिप्स के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का भविष्य उज्ज्वल है और भारत को देखें तो यह इस मामले में अमेरिका से पीछे नहीं है. कलर्ड पोटैटो की वैरायटी पर हम काम कर रहे हैं. हम लाल रतन वैरायटी पर भी काम कर रहे हैं जो लाल रंग की है.
अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. https://www.youtube.com/watch?v=iL8S2LFBfMI
यूपी के किसान रामशरण वर्मा ने जो कि पहले केले की खेती करते थे, लेकिन बाद में आलू में उतर गए और वे बड़ी सफलता पा रहे हैं. उन्होंने आलू की खेती को लेकर कई बड़ी बातें बताईं. उन्होंने कहा कि सही ढंग से अगर खेती की जाए तो किसी भी किसान को नुकसान नहीं होगा. उन्होंने खुद के बारे में बताया कि उन्हें 30 साल से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है.
हाइफन फूड्स के चीफ ऑफ सीड्स संदीप कुमार दास ने कहा, हाइफन अहमदाबाद की कंपनी है जिसका शुरू में फोकस फ्रेंच फ्राई पर था लेकिन अब स्टार्च में भी काम कर रहे हैं. अभी हमारा ऑपरेशन अधिकांश गुजरात में चल रहा है. अभी मुख्य काम फ्रेंच फ्राई का है, लेकिन आगे चिप्स में भी बढ़ेंगे. भारत अभी 6 करोड़ टन आलू तैयार करता है, 12 करोड़ टन 2050 तक आलू उत्पादन की उम्मीद है. यूपी में हम एक हजार एकड़ में कांट्रेक्ट फार्मिंग करा रहे हैं. अगर कोई किसान हाइफन फूड्स से जुड़ना चाहता है तो हमारी वेबसाइट पर क्वेरी डालनी होगी. उसके बाद हमारे प्रतिनिधि किसान से मिल कर अपनी बात रख सकेंगे. किसान से ज्यादा हम उनसे जुड़ने के लिए उत्सुक हैं. हम उनसे मिलकर खुद उनके साथ काम शुरू कर देंगे.
अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. https://www.youtube.com/watch?v=iL8S2LFBfMI
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today