झारखंड में सरसों की खेती को अब बढ़ावा मिलने वाला है. इसका फायदा राज्य के किसानों को मिलने वाला है. दरअसल केंद्र सरकार ने सरसों का उत्पादन बढ़ाने के लिए झारखंड को चुना है. इससे पहले झारखंड में सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सात जिलों में पायलट प्रोजक्ट के तहत सरसों की खेती की गई थी.इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद झारखंड को केंद्र सरकार की तरफ से यह लक्ष्य दिया गया है. इसके तहत झारखंड में अब सरसों की खेती का रकबा बढ़ाया जाएगा. साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि प्रति हेक्टेयर उत्पादन को बढ़ाकर आठ क्विंटल किया जाए, ताकि खाद्य तेल के मामले में भारत आत्मनिर्भर हो सके.
सूत्रों के मुतबिक सरसों उत्पादन को बढ़ावा आनेवाली नई केंद्र सरकार इसे अपने पहले 100 दिने के कार्यक्रम की सूची में शामिल कर सकती है. बता दें कि 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि खाद्य तेल के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई योजना की शुरुआत की जाएगी. इसके तहत खास कर सरसों, मूंगफली और सोयाबीन की खेती और उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी इस पर अपनी सहमति जता दी है. इसके तहत झारखंड में सरसों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, साथ ही झारखंड की तर्ज पर अन्य राज्यों में भी उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.
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झारखंड में खरीफ सीजन के बाद रबी सीजन में 17 लाख हेक्टेयर जमीन खाली रह जाती है. केंद्र सरकार इस लक्ष्य के साथ काम कर रही है कि 11 लाख हेक्टेयर का 30-40 फीसदी क्षेत्रफल में सरसों की खेती की जाए. इस हिसाब से 10-11 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की खेती की जाएगी. इसके साथ ही झारखंड में प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी बढ़ने की उम्मीद है ताकि अगले पांच सालों में प्रति हेक्टेयर उत्पादन दोगुना किया जा सके. यह राजस्थान में 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. हालांकि गुजरात के प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल के उत्पादन लक्ष्य को हासिल करना फिलहाल झारखंड में संभव नहीं है.
झारखंड में सरसों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट का जिम्मा भरतपुर स्थिति आईसीएआर रामसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय को सौंपा गया है. झारखंड में प्रतिहेक्टेयर सरसों उत्पादन का औसत 8.19 क्विंटल है. आईसीएआर रामसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक पीके राय ने कहा कि यह गुमला और गिरिडीह जैसे जिलों के लिए सरसों किसानों की उम्मीद बढ़ाती है जहां पर उत्पादन 4.1 क्विटंल से लेकर 4.3 क्विंटल तक उत्पादन होता है. क्योंकि इस प्रोजेक्ट से इन जिलों में सरसों का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को फायदा होगा.
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पीके राय ने कहा की झारखंड में सरसों का उत्पादन 36 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही कहा कि पायलट प्रोजेक्ट से प्राप्त परिणामों में यह साबित हो गया है कि हम इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. उस लक्ष्य के हासिल करने के लिए किसानों को अच्छी गुणवत्ता औऱ अधिक उत्पादन देने वाले बीज देने होंगे और उन्हें उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक बतानी होगी. सूत्रो ने यह भी बताया कि सरसों के उत्पादन में झारखंड की सफलता ही दूसरे राज्यों में इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए नए रास्ते खोलेगी. इसलिए झारखंड में केंद्र सरकार इसके उत्पादन बढ़ाने से संबंधित सभी पहलूओं पर खास ध्यान दे रही है.
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