इजराइल-हमास युद्ध का असर भारत के चाय निर्यात पर दिखने लगा है. पश्चिमी एशिया की यह लड़ाई कई मायनों में बिजनेस को प्रभावित कर रही है जिसमें एक चाय का निर्यात भी है. केरल के कोच्चि से पश्चिमी एशिया के कई देशों में बड़ी मात्रा में चाय की सप्लाई की जाती है. लेकिन हजराइल और हमास के युद्ध ने इस सप्लाई को प्रभावित किया है. कोच्चि के चाय की डिमांड पहले से कम हो गई है और ऑर्डर भी कम मिल रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि अगर यह लड़ाई और भी खिंचती रही तो चाय के व्यापार पर भारी असर देखने को मिलेगा.
पिछले दो हफ्तों की तुलना करें तो कोच्चि से चाय के निर्यात में 10 फीसद से अधिक कमी आई है. पिछले हफ्ते की तुलना में इस हफ्ते चाय की मांग में तेज गिरावट दर्ज की गई है. व्यापारियों के मुताबिक, स्वेज नहर से होने वाली सप्लाई आने वाले दिनों में और अधिक प्रभावित हो सकती है क्योंकि लड़ाई आगे चलने से इस रूट के कारोबार पर बुरा असर होगा. लड़ाई लंबी चलने से पश्चिम एशिया के देशों में माल की सप्लाई बड़े पैमाने पर प्रभावित हो सकती है.
पिछले हफ्ते कोच्चि की ऑर्थोडॉक्स चाय की मांग में पहले की तुलना में 4-5 परसेंट तेजी देखी गई थी. ये मांग इराक, ईरान और ट्यूनिशिया जैसे देशों से मिली थी. इस डिमांड से व्यापारियों के चेहरे खिल गए थे कि उन्हें आगे भी अच्छा बिजनेस मिलेगा. लेकिन इजराइल-हमास युद्ध ने व्यापारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इस हफ्ते तो कुछ ही देशों से डिमांड आई है, वह भी बहुत कम मात्रा में. इससे व्यापारियों में मायूसी है.
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कोच्चि के व्यापारी कहते हैं कि आगे 'वेट एंड वॉच' वाली स्थिति है. अगर लड़ाई बंद हो जाती है तो अच्छी बात होगी, अन्यथा व्यापार बहुत अधिक प्रभावित होगा. पहले के ऑर्डर का माल अभी रास्ते में है, लेकिन नए ऑर्डर पर संदेह बरकरार है. व्यापारी कहते हैं कि कोच्चि से इजराइल बहुत ही सीमित मात्रा में चाय जाती है, लेकिन बड़ा मुद्दा स्वेज नहर का है. इसी रास्ते से पश्चिम एशिया के देशों में चाय की सप्लाई की जाती है. जब से इजरायल और हमास में युद्ध छिड़ा है तब से स्वेज नहर से होने वाले व्यापार पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं.
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