Modern History में भारत के किसी उत्पाद ने यूरोप एवं अन्य देशों को अगर सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, तो वह है भारत के मसाले. भारत में एक सदी तक राज करने वाली ब्रिटेन की East India Company को भी भारत से मसालों का आयात करने के लिए ही स्थापित किया गया था. मगर, सदियों से दुनिया को लुभाते रहे भारत के मसाले आज Global Standard की कसौटी पर खरा उतरने की कोशिशों में जुटे हैं. इस मामले का दूसरा पहलू यह भी है कि भारतीय मसाला उद्योग के सामने आयात और निर्यात के बीच संतुलन बनाने का संकट पैदा हो गया है. बीते दिनों भारत की कुछ नामी मसाला कंपनियों के उत्पाद, मानकों को पूरा नहीं कर पाए, इस कारण भारतीय मसालों के निर्यात में भारी कटौती हो गई.
भारत में मसाला उद्योग का कुल कारोबार 80 हजार करोड़ रुपये तक है. इस लिहाज से भारत लंबे समय से मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है. मसालों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की हिस्सेदारी 72 फीसदी तक है. हाल ही में भारत की कुछ बड़ी मसाला कंपनियों के पैकेट बंद मसालों में Preservative के रूप में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय मानक से ज्यादा मिलने की शिकायतें मिली थीं.
ये भी पढ़ें, भारतीय मसालों को अमेरिका की हरी झंडी, प्रोडक्ट को बताया सुरक्षित
भारतीय मसालों में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय मानकों से 10 गुना तक ज्यादा पाए जाने की शिकायत मिली थी. इसके बाद से प्रतिबंध और जांच का सिलसिला तेज हुआ. पिछली कई सदियों से भारत के मसाला उद्योग की दुनिया भर में साख थी, जिसके बलबूते मसालों के निर्यात में भारत, अव्वल है. मगर अब सिंगापुर, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया ने भी भारतीय मसालों को जांच के दायरे में ले लिया है.
इससे पहले अमेरिका ने भी भारत के 22 मसालों की जांच शुरू कर दी थी. हालांकि जांच के बाद अमेरिका ने भारत के मसालों को मानकों के मुताबिक बताते हुए इनके इस्तेमाल की अनुमति दे दी है. उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि अगर इसी तरह जांच का दायरा बढ़ता रहा तब फिर भारतीय मसाला उद्योग के लिए हालात गंभीर हो जाएंगे. मसालों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपये के International Market में भारत की हिस्सेदारी लगभग 45 हजार करोड़ रुपये है. जानकारों ने आगाह किया है कि विदेशों में अगर भारतीय मसालों के खिलाफ कोई कार्रवाई आगे भी जारी रहती है, तो इससे Indian Spice Industry को 50 फीसदी तक नुकसान हो सकता है.
गौरतलब है कि भारत के मसालों का सबसे बड़ा खरीदार चीन है. इसके बाद दूसरे पायदान पर अमेरिका और तीसरे पायदान पर बांग्लादेश है. इसके अलावा मलेशिया, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और नेपाल सहित अरब देश भी भारत से भारी मात्रा में मसाले खरीदते हैं. भारत से निर्यात होने वाले मसालों में जीरा, सौंफ, लाल मिर्च, इलायची, मेथी, धनिया, हल्दी, अजवाइन और जायफल शामिल हैं. अब तो भारत की देसी बुकनू, पुदीना मसाला और करी पाउडर की मांग भी विदेशों में खूब बढ़ रही है.
ये भी पढ़ें, भारतीय मसालों के निर्यात पर बैन लगने के बाद AISEF ने उठाया बड़ा कदम, जानें क्या है आगे की तैयारी
भारतीय मसालों पर आरोप है कि सेहत के लिए घातक माने गए एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय मानक से 10 गुना ज्यादा मिली है. इसके जवाब में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता एवं मानकों का पालन सुनिश्चित कराने वाली संस्था Food Safety and Standard Authority of India यानी FSSAI ने मसालों की पुख्ता जांच के बाद मानकों के उल्लंघन के इन आरोपों का खंडन किया है. इसके बाद ही तमाम देशों ने भारत के मसालों का आयात प्रतिबंधित किए जाने के बजाय उन्हें जांच के दायरे से गुजारने की रियायत दी है.
इस बीच मसाला उद्योग ने इस घटनाक्रम को चीन की साजिश का भी हिस्सा बताया है. उनकी दलील है कि चीन मसाला मार्केट पर नजर लगाए हुए है. इसलिए भारत के मसालों का सबसे बड़ा आयातक होने के बावजूद चीन भारतीय मसाला इंडस्ट्री पर दबाव बनाने के लिए मानकों के उल्लंघन के आरोपों की जद में लेना चाहता है. हालांकि इस मामले में देश की अग्रणी मसाला कंपनियों ने फिलहाल खुलकर बोलने के बजाय Wait & Watch की रणनीति अपनाई है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today