ओडिशा में सीधी बुवाई के लिए बेस्ट हैं धान की ये किस्में, मौसम विभाग ने जारी की एडवाइजरी

ओडिशा में सीधी बुवाई के लिए बेस्ट हैं धान की ये किस्में, मौसम विभाग ने जारी की एडवाइजरी

धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों तो लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि  वो अच्छी उपज हासिल करने के लिए धान की उन्नत किस्में धरणी, समृति कादरी-6 और कलिंगा मूंगफली जैली किस्मों का इस्तेमाल करें. सीधी बुवाई के लिए किसान प्रति एकड़ 75 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें.

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ओडिशा में सीधी बुवाई के लिए बेस्ट हैं धान की ये किस्में, मौसम विभाग ने जारी की एडवाइजरीधान की खेती

ओडिशा में मॉनसून सीजन में अच्छी बारिश हो रही है. कई जिलों में किसान खरीफ फसलों की खेती शुरू कर चुके हैं. खरीफ के सीजन में ओडिशा के किसान मुख्य तौर पर धान की खेती करते हैं. किसान अच्छे से धान की खेती कर सके इसके लिए आईएमडी की तरफ से किसानों को लिए सलाह जारी किया जाता है. इन सलाह को अपना कर किसान बेहतर तरीके से खेती कर सकते हैं. धान की खेती को लेकर जारी किए गए सामान्य सलाह में कहा गया है कि धान की रोपाई के लिए आवश्यक 10 डिसमिल की एक अच्छी सूखी क्यारी तैयार करें. यहां बेड बनाएं और जमीन से बेड की ऊंचाई 6 सेंटीमीटर रखे. लंबी क्यारियों के बीच एक फीट का अंतर रखें. 

धान की नर्सरी तैयार करने के लिए दस डिसमिल के बेड में 40 टोकरी गोबर खाद खाद डालें. फिर इस बेड में 20 किलोग्राम बीज की बुवाई करें और मिट्टी से ढंक दें. जब धान अंकुरित हो जाए और 15 दिन हो जाए तब उस बेड में 4 किलोग्राम यूरिया का भुरकाव करें. इससे पौधों में हरापन आता है और रोपाई के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं. नर्सरी तैयार करने के बाद किसान धान की रोपाई के लिए अपने खेत को तैयार करें. खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले चूहों के बिल को बंद करें और मेड़ों को दुरुस्त करें ताकि खेत में पानी जमा हो सके. 

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डीएसआर विधि के लिए इन किस्मों का करें इस्तेमाल

धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों तो लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि  वो अच्छी उपज हासिल करने के लिए धान की उन्नत किस्में धरणी, समृति कादरी-6 और कलिंगा मूंगफली जैली किस्मों का इस्तेमाल करें. सीधी बुवाई के लिए किसान प्रति एकड़ 75 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें. बीज के अच्छे अंकुरण और स्वस्थ पौधों के लिए वीटावैक्स पावर को 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करें. बुवाई से एक घंटे पहले राइजोबियम कल्चर 20 ग्राम प्रति किलोग्राम धान की दर से बीजों को उपचार  करें. सीधी बुवाई के लिए खेत तैयार करते समय खेत में प्रति एकड़ दो टन गोबर खाद डालें . इसके अलावा एक क्विंटल जिप्सम साथ एनपीके खाद डालें. 

पानी की कमी होने पर लगाए कम अवधि वाली किस्में

मयूरभंज और क्योंझर जिलों के किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि बारिश की होने के कारण धान की खेती प्रभावित हो सकती है, इसलिए सलाह में कहा गया है कि किसान कम अवधि वाले धान के किस्मों की खेती करें. सहभागीधन, मंदाकिनी, बीना-11,जोगेश और सिद्धांता कम अवधि वाली धान की बेहतरीन किस्में हैं. किसान धान की बुवाई से पहले यह सुनिश्चित करें की खेत में पर्याप्त नमी हैं. बीमारी और कीट के प्रकोप से बचाने के लिए खेत की लगातार निगरानी करते रहें. जिन क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है उन क्षेत्रों में ब्लास्ट रोग का प्रकोप दिखाई दे सकता है. इससे बचाव के लिए  हेक्साकोनाज़ोल 5 प्रतिशत ईसी को 30 मिलीलीटर प्रति 15 लीटर पानी का छिड़काव करें.

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शुरू करें धान की रोपाई

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नहर या तालाब के पानी इस्तेमाल करके धान की रोपाई शुरू करें. नर्सरी से पौधों को उखाड़ने से सात दिन पहले  फिप्रोनिल 0.3 ग्राम का 100 ग्राम प्रति एक डिसमिल की दर से डालें. इसके साथ ही नर्सरी में दानेदार कीटनाशक का इस्तेमाल करें. धान की रोपाई के लिए खेत की अंतिम जुताई करते समय 5 टन गोबर खाद प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. लंबी अवधि के धान की किस्म की रोपाई उचित दूरी पर करें. इस समय धान की नर्सरी में ब्लास्ट रोग का प्रकोप देखा जा सकता है. इससे बचाव के लिए खेत की निगरानी करते रहें और ट्राइसाइक्लाज़ोल का छिड़काव करें. 

 

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