सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि हरियाणा में भी किसान गेहूं कटाई करने के बाद पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. खास कर पलवल जिले में किसान कुछ ज्यादा ही पराली जला रहे हैं. इससे वायु गुणवत्ता खराब होने का खतरा मडराने लगा है. 1 अप्रैल से 3 मई के बीच पलवल जिले में पराली जालने के 8 घटनाएं सामने आई हैं. वहीं, आरोपी किसानों के खिलाफ 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, नागरिक संसाधन सूचना विभाग की एक नोडल एजेंसी, हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र ने 1 अप्रैल से जिले में पराली जलाने की 31 घटनाएं दर्ज कीं, लेकिन 23 झूठी निकलीं. दावा किया जा रहा है कि इन घटनाओं की जानकारी गलत हो सकती है, क्योंकि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद पराली जलाने की घटना को आधिकारिक तौर पर दर्ज किया जाता है. खास बात यह है कि ये घटनाएं उदयपुर बांगुरी, बहरोला, औरंगाबाद, कोडला (बंचारी), डकोरा, भिदुकी, खांबी और सोलरा गांवों में दर्ज की गईं, जहां अपराधियों पर 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया.
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इस साल, पहली घटना 16 अप्रैल को उदयपुर बांगुरी गांव में दर्ज की गई थी, जबकि आखिरी घटना 29 अप्रैल को सोलरा गांव में दर्ज की गई थी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आधिकारिक ऐप 'समीर' पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं की संख्या 2023 की इसी अवधि की तुलना में लगभग समान रही है. हालांकि, क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता पलवल समेत जिले का हाल पिछले साल के मुकाबले खराब है. कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को दंडित किया जा रहा है.
बता दें कि बीते दिनों खबर सामने आई थी कि पंजाब में जैसे- जैसे गेहूं कटाई में तेजी आ रही है, वैसे-वैसे प्रदेश में पराली में आग लगाने के मामले भी बढ़ रहे हैं. राज्य में 1 अप्रैल से शनिवार तक खेत में आग लगने की 45 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि साल 2023 और 2022 में इसी अवधि के दौरान क्रमशः 27 और 21 घटनाएं दर्ज की गई थीं. वहीं, साल 2022 में खेतों में आग लगने की कुल 14,511 घटनाएं और 2023 में खेतों में आग लगने की कुल 11,355 घटनाएं दर्ज की गईं.
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