देश में कृषि को आधुनिक बनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके साथ ही इससे जुड़े हर क्षेत्र में नई तकनीकों का इस्तेमाल करने पर जोर चल रहा है. इसी तरह सरकार अब फसल उत्पादन के आकलन की प्रक्रिया में को भी आधुनिक बनाने की तैयारी कर रही है. क्योंकि वर्तमान में जो प्रक्रिया अपनायी जाती है उसमें अधिकांश काम मैनुअल होता है जिसमें कमियां हो सकती हैं. केंद्र का प्रयास है कि अगले कृषि वर्ष में जो फसल उत्पादन आकलन की प्रक्रिया अपनायी जाएगी वो डिजिटल होगी. केंद्र का प्रयास है कि डिजिटल फसल सर्वेक्षण कराया जाए. यह फसल सर्वेक्षण प्रक्रिया को ऑटोमेटिक बनाने की दिशा में एक पहल होगी.
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अर्थशास्त्र, सांख्यिकी और मूल्यांकन प्रभाग (ईएसईडी) की मार्गदर्शन में दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं. इन दिशानिर्देशों को अपनाने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है. इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि वर्ष कृषि वर्ष 2024-25 मे फसलों के आच्छादन, गिरिद्वारी जैसी अन्य प्रक्रिया को डिजिटल करना है. दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक राज्य में फसल बुवाई डेटा संग्रह के लिए जीपीएस सक्षम मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करेंगे. फसल उत्पादन आकलन प्रक्रिया को मैनुअल से ऑटोमेटिक करना इसका मुख्य उद्देश्य है.
ये भी पढ़ेंः कमाल का डिजिटल गमला: ऑटोमेटिक मोटर से मिलेगा पौधों को पानी, मोबाइल पर आएगा नोटिफिकेशन
वर्तमान में फसल आकलन प्रक्रिया मैनुअल तरीके से की जाती है. इस कार्य में देरी भी हीती है औऱ कई प्रकार की खामियां भी होती है. हालांकि कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही जीपीएस-सक्षम मोबाइल ऐप का उपयोग करके डिजिटल डेटा संग्रह प्रणाली शुरू कर दी है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में डिजिटल सिस्टम मौजूद हैं, लेकिन वे फसल क्षेत्र की रिकॉर्डिंग तक ही सीमित हैं. इन्ही सब खामियों को देखते हुए इस कार्य को आधुनिक बनाने पर विचार किया गया.
ये भी पढ़ेंः Earthquake Today: एक बार फिर कांपी धरती, नेपाल और बिहार में महसूस किए गए भूकंप के झटके
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सिंतबर महीने में फसल उत्पादन के वास्तविक डेटा मूल्यांकण पर जोर देने की बात कही थी और इसका महत्व भी बताया था. इसलिए मूल्यांकन प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का उद्देश्य मैनुअल प्रक्रिया में आनेवाली खामियों को दूर करना था और सटीक बनाना था. ताकि समय पर सही आंकड़े मिल सकें. इसमें खेत के प्रकार से लेकर फसलों का पूरा डाटा रहेगा. यह व्यापक डेटा देश में कृषि और किसानों के विकास के लिए योजनाएं तैयार करने में मदद करेगा. डेटा कलेक्शन के डिजिटलीकरण करने के अलावा कृषि और किसान कल्याण विभाग मे फसल अनुमानों के लिए जरी समयसीमा को भी संशोधित किया है. जो पहले पांच चरणों में जारी किए जाते थे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today