एमपी में सरकार बनाने के विश्वास के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस को महज 66 सीटें जीतकर ही संतोष करना पड़ा. गत 3 दिसंबर को घोषित हुए चुनाव परिणाम में पार्टी की करारी हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के इस्तीफे की सुगबुगाहट हुई, मगर उनके कार्यालय की ओर से इस तरह की अटकलों को खारिज कर दिया गया. ऐसा माना गया कि 8 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में होने वाली समीक्षा बैठक में कमलनाथ पार्टी की करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश करेंगे. एमपी में कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बैठक में चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा की गई. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के इस्तीफे के बारे में कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में जाे कमियां रह गईं, उन्हें दूर कर आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में पार्टी जुटेगी.
कांग्रेस की परंपरा के मुताबिक आमतौर पर चुनाव में हार की जिम्मेदारी टीम लीडर लेता है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. पिछले साल यूपी में हुए चुनाव के बाद प्रदेश तत्कालीन अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू ने भी इस परंपरा को निभाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. हाल ही में संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 4 राज्यों में हार हुई, मगर कुछ महीने बाद ही होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी नेतृत्व की ओर से इन राज्यों में हार की जिम्मेदारी प्रदेश के नेतृत्व पर तय नहीं की गई.
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हालांकि कांग्रेस की सबसे करारी हार एमपी में होने के बाद 5 दिसंबर से ही कमलनाथ के इस्तीफे की सुगबुगाहट तेज हो गई थी. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की ओर से 7 दिसंबर को इन अटकलों को खारिज करते हुए इन्हें निराधार बताया गया.
एमपी के चुनाव परिणाम की समीक्षा के लिए शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक में कमलनाथ ने प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव परिणाम की रिपोर्ट पेश की. उन्होंने 5 दिसंबर को ही भोपाल में सभी प्रत्याशियों की बैठक बुला कर हर सीट पर हुई हार जीत का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवाया था. इसे पार्टी नेतृत्व के समक्ष करते हुए उन्होंने हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया. बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव में एमपी की रणनीति को भी कमलनाथ ने पार्टी नेतृत्व के समक्ष पेश किया. बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, सुरजेवाला और डॉ गोविंद सिंह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए.
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बारे में उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव में समय से पहले उम्मीदवारों की घोषणा करना कई सीटों पर नुकसानदायक साबित हुआ. इससे विरोधियों को कांग्रेस के खिलाफ अपनी रणनीति बनाने का मौका मिला. इससे सबक लेकर लोकसभा चुनाव में कांटे के मुकाबले वाली सीटों पर बाद में ही प्रत्याशी घोषित किए जाएं. साथ ही कमलनाथ ने खुद पूरे प्रदेश का दौरा करने की भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों का वह दौरा कर स्थानीय कार्यकर्ताओं में संगठन को मजबूत करने के लिए अब तक किए गए कामों का जायजा लेंगे.
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सूत्रों के मुताबिक बैठक में कमलनाथ ने पार्टी आलाकमान को बताया कि उन्होंने सभी 230 सीटों के उम्मीदवारों की बैठक कर 15 दिसंबर तक हर सीट के चुनाव परिणाम की रिपोर्ट मांगी है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही हर सीट के चुनाव परिणाम की सटीक समीक्षा की जा सकेगी.
उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर पार्टी की हार हुई है, उनमें उम्मीदवार से लेकर, जिला प्रभारी, पर्यवेक्षक और प्रभारी संगठन मंत्री तक, सभी की जिम्मेदारी तय की जाएगी. बैठक में गलत टिकट वितरण का मुद्दा भी उठा. आलाकमान ने पूछा कि तमाम ऐसे उम्मीदवार खुद चुनाव हार गए, जिहोंने दूसरी अन्य सीटों पर अपने करीबियों को जिताने की जिम्मेदारी लेकर टिकट दिलवाया था. कमलनाथ ने अब तक की समीक्षा के आधार पर हार के दो कारणों पर विशेष जोर दिया. पहला भाजपा ने सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत और दूसरा, ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से चुनाव में कांग्रेस को खासा नुकसान पहुंचाया.
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